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श्रद्धालुओं ने श्रद्धा से पितरों को किया पिडदान

जागरण संवाददाता गाजीपुर नगर समेत ग्रामीण अंचलों में पितृपक्ष पर श्रद्धालुओं ने श्रद्धा से पितरों क

By JagranEdited By: Published: Thu, 17 Sep 2020 05:35 PM (IST)Updated: Thu, 17 Sep 2020 05:35 PM (IST)
श्रद्धालुओं ने श्रद्धा से पितरों को किया पिडदान
श्रद्धालुओं ने श्रद्धा से पितरों को किया पिडदान

जागरण संवाददाता, गाजीपुर: नगर समेत ग्रामीण अंचलों में पितृपक्ष पर श्रद्धालुओं ने श्रद्धा से पितरों को पिडदान किया। नगर के ददरीघाट, पोस्ता घाट, कलक्टर घाट, नवापुरा समेत अन्य गंगा घाटों पर सुबह भीड़ लगी रही। श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान कर पितरों को याद किया। विधि-विधान से पिडदान किया गया। ब्राह्मणों को यथा शक्ति दान-दक्षिणा दिया गया। इसके बाद घर आकर अपने पूर्वजों को घर में बने पकवानों को चढ़ाकर श्रद्धा से शीश झुकाकर आशीर्वाद की कामना की गई।

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सैदपुर : नगर स्थित बूढ़ेनाथ महादेव घाट पर पिडदान करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। गांवों में पोखरों के किनारे व बड़ पेड़ के नीचे बैठकर लोगों ने पिडदान किया। खानपुर: क्षेत्र के नदियों, सरोवरों और बरगद, पीपल वृक्ष के नीचे अश्विन मास का कृष्णपक्ष पितरों को समर्पित किया गया। पितृपक्ष में विधि विधान पूर्वक श्राद्ध, तर्पण, दान इत्यादि करके अपने पितरों के प्रति अपने आदर व कर्तव्यबोध को प्रकट करने के बाद पितृविसर्जन यानि अमावस्या जिसे “सर्वपितृ अमावस्या'' भी कहते हैं। पितृ विसर्जन के दिन पितरों की अंतिम वार्षिक विदाई दी गई। पितरों को प्रसन्न करने के लिये जल में तिल व सुगंधित पुष्प मिला कर हाथ में अक्षत और दक्षिणा ले कर तर्पण किया गया और उन्हें सात्विक भोजन बना कर गाय, दान के साथ दक्षिणा अर्थात कुछ पैसों का भी दान देकर कोहड़े की सब्जी, बड़ा, अरबी, खीर, पूड़ी व मिष्ठान्न का भोज्य भोग के रूप में अर्पित किया गया है। सिधौना के कर्मकांडी ब्राह्मण सुबाष दीक्षित ने बताया कि श्रद्धा व आदर से परिपूरित भावों के साथ अर्पित किया गया जल व तुलसी भी पितरों को तृप्त कर हमें उनके आशीष का पात्र बना देता है। शास्त्र में कहा गया है कि श्रद्धया इदं श्राद्धम् अर्थात जो श्रद्धा से किया जाए वहीं श्राद्ध है। सादात: पितृ विसर्जन का पर्व लोगों ने श्रद्धा से पितरों को पिडदान किया। नगर के पोखरे, तालाबों आदि पर सुबह ही जाकर अपने पितरों के लिए पिडदान किया। ब्राह्मणों को यथा शक्ति दान दक्षिणा दिया गया। इसके बाद घर आकर अपने पूर्वजों को घर मे बने पकवानों को चढ़ाकर श्रद्धा से शीश झुकाकर आशीर्वाद की कामना की।


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