घर-घर मनाई गई शरद पूर्णिमा
शरद पूर्णिमा शुक्रवार व शनिवार दो दिन मनाई जा रही है। इस मौके पर शुक्रवार को घर-घर में खीर बनाई गई और चंद्रमा की चांदनी में शीतल किया गया।
जागरण संवाददाता, गाजीपुर : शरद पूर्णिमा शुक्रवार व शनिवार दो दिन मनाई जा रही है। इस मौके पर शुक्रवार को घर-घर में खीर बनाई गई और चंद्रमा की चांदनी में शीतल किया गया। अगली सुबह लोग इसे प्रसाद के रूप में वितरित करेंगे और स्वयं भी ग्रहण करेंगे। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार वर्ष में सिर्फ एक बार शरद पूर्णिमा पर ही चंद्रमा षोडश कलाओं से युक्त और उसकी किरणों से अमृत वर्षा होती है। आयुर्वेद शास्त्र ने नक्षत्राधिपति चंद्रमा को औषधियों का स्वामी माना है। मान्यता है कि इस रात चंद्र किरणों में औषधीय अमृत गुण आ जाता है। खीर पर चांदनी रात का प्रकाश पड़ने से इसमें भी वह गुण समा जाता है। इसके सेवन से जीवन शक्ति मजबूत होती है। शरद पूर्णिमा इस बार दो दिन पड़ रही है। पहले दिन 30 अक्टूबर को आरोग्य-ऐश्वर्य व सुख-समृद्धि कामना का पर्व शरद पूर्णिमा व कोजागरी महोत्सव मनायी गई और दूसरे दिन 31 अक्टूबर को स्नान-दान, व्रत के साथ ही कोजागरी व्रत की पूर्णिमा भी मनाई जाएगी। इसके साथ कार्तिक पर्यंत चलने वाले स्नान-दान, व्रत, यम-नियम का सिलसिला शुरू हो जाएगा। इसका समापन 30 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा पर होगा। लोगों ने शुक्रवार की रात दूध में खीर बनाकर अपने छतों पर रखा। इसे अगले दिन सुबह खाएंगे। ज्योतिषाचार्य पं. किशन द्विवेदी के अनुसार पूर्णिमा तिथि 30 अक्टूबर को शाम 5.26 बजे लग रही है जो 31 अक्टूबर को शाम 7.31 बजे तक रहेगी। शास्त्र सम्मत है कि शरद पूर्णिमा पर प्रदोष व निशीथ काल में होने वाली पूर््िणमा ली जाती है। वहीं कोजागरी व्रत पूर््िणमा निशीथ व्यापिनी होनी चाहिए। अत: शरद पूर््िणमा और कोजागरी व्रत की पूर्णिमा 30 अक्टूबर को ही मनाई गई। आश्विन शुक्ल पूर्णिमा को सनातन धर्म में शरद पूर्णिमा की मान्यता है।