नाविकों ने मांगी नाव चलाने की अनुमति
बारा (गाजीपुर) कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के चार चरण बाद उसमें कई बदलाव किए गए। पांचवे चरण को अनलॉक - 1 कहा गया जिसमें कई छूट दी गई थी। दुकानें ढाबा धार्मिक स्थल आदि खोलने की इजाजत दे दी गई। जिसमें लोगों की जिदगी पटरी पर लौट सके। लेकिन अभी भी मजदूर का बड़ा तबका रोजी - रोटी के लिए जूझ रहा है।
जागरण संवाददाता, बारा (गाजीपुर) : कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के चार चरण बाद उसमें कई बदलाव किए गए। पांचवे चरण को अनलॉक - 1 कहा गया, जिसमें कई छूट दी गई थी। दुकानें, ढाबा, धार्मिक स्थल आदि खोलने की इजाजत दे दी गई। जिसमें लोगों की जिदगी पटरी पर लौट सके। लेकिन अभी भी मजदूर का बड़ा तबका रोजी - रोटी के लिए जूझ रहा है।
बिहार सीमा पर स्थित बारा गांव में नाविकों की रोजी रोटी पर गहरा असर पड़ा है। गंगा के विभिन्न घाटों पर अभी भी सन्नाटा पसरा हुआ है। अनलॉक के दो सप्ताह बाद भी नाविकों को नाव चलाने की इजाजत नहीं मिली है। हालांकि कुछ नाविक बिना अनुमति के ही नाव से मछली पकड़ने का काम कर रहे हैं। जबकि दर्जनों नाविक बेरोजगार हो गए हैं। परिजनों पर भुखमरी का संकट आ पड़ा है।
लॉकडाउन के बाद से ही नाव गंगा में ही खड़ी हुई हैं। बारा में गंगा घाटों पर नावों की खामोशी देखने को मिल रही है। नाविक समाज ने गंगा में नाव चलाने की अनुमति मांगी है, जिससे उनकी रोजी रोटी चल पड़े। बारा गांव निवासी बिदा चौधरी ने बताया कि जबसे लॉकडाउन लगा है, तब से उनकी नाव खामोश पड़ी है। वह घर का पालन - पोषण नाव चलाकर ही करते थे, शुरू में खाने पीने का इंतजाम हो गया था। लेकिन अब गुजारा नहीं हो रहा है। परिवार पर खाने का संकट आ पड़ा है। नाविकों ने प्रशासन से नाव चलाने की अनुमति देने की मांग की है।