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जलस्तर में गिरावट लेकिन कटान जारी

गाजीपुर गंगा का जलस्तर घटने के साथ कटान का सिलसिला जारी है। शनिवार को गंगा का जलस्तर दो सेमी प्रति घंटे की रफ्तार से कम हो रहा है। केंद्रीय जल बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार शाम पांच बजे तक गंगा का जलस्तर 61.920 मीटर रिकार्ड किया गया । जलस्तर कम होने से तटवर्ती इलाकों के किसानों ने टमाटर एवं मिर्च की खेती की तैयारी शुरू कर दी है। खेतों को तैयार किया जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 24 Aug 2019 06:57 PM (IST)Updated: Sat, 24 Aug 2019 06:57 PM (IST)
जलस्तर में गिरावट लेकिन कटान जारी

जासं, गाजीपुर : गंगा का जलस्तर घटने के साथ कटान का भी सिलसिला जारी है। शनिवार को गंगा का जलस्तर दो सेमी प्रति घंटे की रफ्तार से कम हो रहा है। केंद्रीय जल बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार शाम पांच बजे तक गंगा का जलस्तर 61.920 मीटर रिकार्ड किया गया। जलस्तर कम होने से तटवर्ती इलाकों के किसानों ने टमाटर एवं मिर्च की खेती की तैयारी शुरू कर दी है। खेतों को तैयार किया जा रहा है।

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गंगा का जलस्तर बढ़ने से होने वाली धुकधुकी अब समाप्त हो चुकी है लेकिन तटवर्ती इलाकों में कटान होने से लोगों के माथे पर चिता की लकीरें दिख रही हैं। हालांकि कटान की रफ्तार काफी धीमी है लेकिन अभी भी इसका खतरा बना हुआ है। मुहम्मदाबाद : जलस्तर घटने के बावजूद कटान अभी भी हो रहा है। गंगा के जलस्तर में गिरावट शुरू होने से तटवर्ती गांवों के ग्रामीणों से ज्यादा वह किसान खुश हैं जो काफी धन खर्च कर पेशगी पर खेत लेकर सब्जी की खेती कर रहे हैं। गंगा कटान से प्रभावित सेमरा व शिवराय का पुरा तो ठोकर निर्माण हो जाने के बाद से करीब करीब सुरक्षित नजर आ रहा है। अब परेशानी रामतुलाई स्थित साधु राय के डेरा से लेकर परिया 61, 53 से 70 शेरपुर गंगा तट तक कटान का खतरा बढ़ गया है। इस बार जलस्तर बढ़ने से इन जगहों पर कम से कम 10 बीघा कृषि भूमि कटान से गंगा की धारा में समाहित हो चुकी है। इसमें कई पुराने पेड़ भी शामिल हैं। कटान के चलते किनारे से कुछ दूरी पर स्थित विश्व बैंक पोषित नलकूप, शिव मंदिर के साथ ही इलाके में शिक्षा का परचम फहरा रहा पशुपति नाथ शिक्षण संस्थान का भवन भी अपना अस्तित्व खो सकता है। इसको लेकर लोगों में काफी भय का वातावरण बना हुआ है। वहीं शेरपुर गांव का अस्तित्व भी भविष्य में कटान से जूझता नजर आ सकता है। लोगों का मानना है कि रामतुलाई के आगे जहां तक ठोकर का कार्य स्वीकृत हैं, निर्माण कार्य शुरू हो जाए। उसी के उपरांत उसके आगे की भी प्रक्रिया शुरू कर शेरपुर तक ठोकर निर्माण करा दिया जाए ताकि ग्रामीण किसी अनहोनी से बच सके।


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