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पीएचसी धर्मागतपुर पर दो दिनों से लटक रहा ताला

जागरण संवाददाता दुल्लहपुर (गाजीपुर) प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र धर्मागतपुर चिकित्सकविहीन हो गया है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 29 May 2021 08:51 PM (IST)Updated: Sat, 29 May 2021 08:51 PM (IST)
पीएचसी धर्मागतपुर पर दो दिनों से लटक रहा ताला
पीएचसी धर्मागतपुर पर दो दिनों से लटक रहा ताला

जागरण संवाददाता, दुल्लहपुर (गाजीपुर) : प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र धर्मागतपुर चिकित्सकविहीन हो गया है। ऐसे में पिछले दो दिनों से केंद्र पर ताला लटक रहा है। इलाज के लिए मरीज परेशान हैं। यहां के स्वीपर को छोड़कर अन्य कर्मचारियों की ड्यूटी ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड जांच व टीकाकरण के लिए लगाई गई है।

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क्षेत्र में एकमात्र सरकारी अस्पताल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र धर्मागतपुर है। यहां पर दो चिकित्सक तैनात थे। चिकित्सक डा. अजय कुमार की ड्यूटी सदर अस्पताल में कोविड में लगाई गई है। वहीं चार दिनों से दूसरे चिकित्सक डा. राकेश रोशन को नवनिर्मित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र धामूपुर में तैनात कर दिया गया है। पहले स्वास्थ्य विभाग के आदेश पर बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए ओपीडी सेवा बंद कर दी गई। फिर भी चिकित्सक अपनी सेवा दे रहे थे। इससे क्षेत्रीय मरीजों को काफी सहूलियत मिल रही थी। लेकिन अब समस्या हो रही है। यहां पर आने वाले मेडिकोलीगल केस तथा अन्य रोगों के इलाज के लिए मरीजों को अब जिला अस्पताल या 10 किलोमीटर दूर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जखनियां जाना पड़ रहा है, अन्यथा निजी चिकित्सकों से इलाज कराने को विवश हैं। क्षेत्रीय लोगों ने स्वास्थ्य विभाग से चिकित्सकों की तैनाती कराने की मांग की है। ऐसा न होने पर प्रदर्शन की चेतावनी दी है। इधर, फार्मासिस्ट वीर सिंह ने बताया कि यह अस्पताल चिकित्सकविहीन हो गया है। यहां के स्टाफ की ड्यूटी ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड जांच व टीकाकरण में लगा दी गई है। अस्पताल सिर्फ स्वीपर के हवाले है। ऐसे में अस्पताल में ताला बंद हो गया है।

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10 वर्र्षो से अधूरा पड़ा जच्चा-बच्चा केंद्र

जागरण संवाददाता, जमानियां (गाजीपुर) : स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते पिछले 10 वर्षो में मुहम्मदपुर गांव स्थित जच्चा-बच्चा केंद्र का निर्माण पूरा नहीं हो पाया है। इसकी शिकायत ग्रामीणों ने कई बार उच्चाधिकारियों से की, बावजूद अब तक कुछ नहीं हुआ। भवन अधूरा होने से गांव के प्राइवेट भवन में स्वास्थ्य केंद्र संचालित होता है।

वर्ष 2008 में तत्कालीन ग्राम प्रधान आरती यादव के प्रस्ताव पर 2010 में जच्चा बच्चा केंद्र के लिए 10 लाख रुपये स्वास्थ्य विभाग की ओर से स्वीकृत हुआ और वर्ष 2011 में निर्माण कार्य भी शुरू हुआ। ठेकेदार ने भवन बनाकर छोड़ दिया, जो आज तक पूरा नहीं हो सका। ऐसे में गांव की महिलाओं को स्वास्थ्य लाभ नहीं मिल पाता है। भवन में अभी प्लास्टर, वायरिग, पेयजल व शौचालय का कार्य बाकी है। भवन के अभाव में एएनएम को गांव के लोगों का कोविड टीकाकरण के लिए जूनियर हाईस्कूल का सहारा लेना पड़ रहा है। जच्चा-बच्चा केंद्र के इस हाल के लिए प्रधान सहित जनप्रतिनिधि भी कम जिम्मेदार नहीं हैं।


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