बुद्ध पूर्णिमा पर डेढ़ किमी रेत में चलकर गंगा में लगाई डुबकी
जागरण संवाददाता गाजीपुर बैशाख पूर्णिमा के दिन शुभ मुहूर्त में गंगा स्नान का विशेष महत्व ह
जागरण संवाददाता, गाजीपुर: बैशाख पूर्णिमा के दिन शुभ मुहूर्त में गंगा स्नान का विशेष महत्व है। सोमवार को बुद्धपूर्णिमा पर श्रद्धालु सुबह से ही नगर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र के कई गंगा घाटों पर गंगा स्नान कर पूजा अर्चना की। मान्यता है कि गंगा स्नान करने के बाद सच्चे मन से भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से मन वांछित फल की प्राप्ति होती है।
नगर के क्षेत्र के बड़ा महादेवा, नवापुराघाट, ददरीघाट, कलेक्टरघाट, चीतनाथ घाट पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी गई। गंगा स्नान के लिए ही सुबह से गंगा घाटों पर श्रद्धालु स्नान के लिए पहुंचने लगे थे। गंगा के प्रति आस्था ऐसी थी कि गंगा नदी के घाट छोड़कर लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर जाने के बावजूद लोग रेत पर चलकर स्नान के लिए पहुंचे। कुछ महिलाओं ने गंगा किनारे पूड़ी, हलवा बना मां गंगा को अर्पित किया। वही गंगा घाटों पर पहुंचे श्रद्धालुओं ने मां गंगा में आस्था की डुबकी लगाकर भगवान भास्कर को जल अर्पित किया। उधर गंगा तटों पर श्रद्धालुओं ने गंगा पुरोहितों के साथ पूजन अर्चन कर दान आदि भी किया।
बुद्ध पूर्णिमा की क्या है मान्यता
मान्यता यह भी है कि वैशाख पूर्णिमा या बुद्ध पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और चंद्र देव की विधि-विधान से उपासना की जाती है, लोग पूर्णिमा का व्रत रखते हैं और भगवान की पूजा करते हैं। ऐसा करने से भगवान विष्णु और भगवान चंद्र देव की कृपा से सारी मनोकामना पूरी होती है। भगवान बुद्ध के उपदेशों पर चलने का लिया संकल्प
बुद्ध पूर्णिमा पर भगवान बुद्ध की जयंती नगर निवासी वरिष्ठ कवि दिनेश चंद्र शर्मा के आवास पर मनाई गई। इस दौरान भगवान बुद्ध की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कवि ने कहा कि आज जब दुनिया भौतिकता की दौड़ में है, उस समय में बुद्ध को याद करना प्रासंगिक हो गया है। दुनिया में हिसा का दौर चल रहा है, जबकि उस समय बुद्ध ने अहिसा का सहारा लिया। विचार व्यक्त करने वालों में रमेश, अजय, केदार, उत्तम आदि शामिल रहे। वहीं महात्मा बुद्ध के जयंती पर राम प्रसाद कुशवाहा इंटर कालेज छावनी लाइन में पूर्व विधायक उमाशंकर कुशवाहा ने उनकी जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज जहां विश्व स्तर पर कुछ देश अपना साम्राज्य का विस्तार करने में लगे हुए है, परमाणु बम विस्फोट की धमकियां दे रहे है, ऐसे में महात्मा बुद्ध की प्रासंगिकता बढ़ गई है। महात्मा बुद्ध के पंचशील सिद्धांत को पूरा विश्व मानता है। इस दौरान महात्माबुद्ध की मूर्ति पर माल्यापर्ण कर भजन, कीर्तन, प्रार्थना एवं आरती का आयोजन किया गया। प्रधानाचार्य अजय सिंह कुशवाहा, कमलाकांत, सुरेंद्र, अजीत, रोहित, श्याम बिहारी, सुरेंद्र राम, सुभाष, रामसागर, सुरेश, शीला, सविता, रूपा, आदि शामिल रहें। खानपुर : वैशाख माह की पूर्णिमा को भगवान गौतम बुद्ध का जन्मतिथि होने से बड़ी संख्या में बुद्ध अनुयायियों ने पूजा पाठ भजन कीर्तन किया। बुद्ध पूर्णिमा का दिन बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए सबसे बड़ा उत्सव होता है। इसके अलावा हिदू धर्म के लोगों के लिए भी ये पर्व काफी महत्वपूर्ण है। बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध महानतम आध्यात्मिक गुरुओं में से एक थे। वैशाख पूर्णिमा के दिन श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान कर पूर्णिमा का व्रत किया। पूर्णिमा के दिन श्रीहरि विष्णु के स्वरूप भगवान सत्यनारायण की पूजा की गई। सुबह नदी स्नान के बाद लोगों ने परिवार सहित भगवान सत्यनारायण का कथा श्रवण किया।