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चीनी मिल को चालू करने की उम्मीद नहीं चढ़ी परवान

गाजीपुर नंदगंज चीनी मिल को चालू करने की उम्मीदों पर एक बार फिर परवान नहीं चढ़ी। लोगों को उम्मीद थी कि शायद इस बजट में चीनी मिल को दोबारा चालू करने के लिए बजट का प्रावधान हो जाए लेकिन निराशा के सिवाय कुछ नहीं मिला।

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 Feb 2020 06:32 PM (IST)Updated: Wed, 19 Feb 2020 06:10 AM (IST)
चीनी मिल को चालू करने की उम्मीद नहीं चढ़ी परवान

जासं, गाजीपुर : नंदगंज चीनी मिल को चालू करने की उम्मीदें एक बार फिर परवान नहीं चढ़ी। लोगों को उम्मीद थी कि शायद इस बजट में चीनी मिल को दोबारा चालू करने के लिए बजट का प्रावधान हो जाए लेकिन निराशा के सिवाय कुछ नहीं मिला। वर्ष 1975 में स्थापित की गई नंदगंज की चीनी मिल दो दशक में ही वर्ष 1998 में बंद करके मिल श्रमिकों को 1999 में जबरन वीआरएस दे दिया गया। मिल को चालू करने के कई प्रयास किए गए। कई बार धरना-प्रदर्शन हुए लेकिन राजनीतिक उदासीनता के चलते मिल को अभी तक चालू नहीं कराया गया।

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नंदगंज के पास सिहोरी गांव में चीनी मिल की नींव वर्ष 1975 में डाली थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने 1978 में मिल के तैयार होने पर इसका विधिवत उद्घाटन भी किया था। मिल चालू होने के बाद जिले के किसानों ने 10 हजार से अधिक हेक्टेयर में गन्ना की खेती करना शुरू कर दिया। बाराचंवर, मरदह, औड़िहार, भीमापार सहित जिले के अन्य हिस्सों में गन्ना की खेती होने लगी। शुरुआती दौर में मिल में करीब एक हजार मजदूरों को रखा गया। मिल के चलने से जिले के लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलने लगा। इस मिल से सरकार को करोड़ों रुपये का राजस्व भी प्राप्त होता था। यह मिल 1990 तक काफी लाभ में रही लेकिन कुप्रबंधन और लूट खसोट के चलते यह मिल 1991 से घाटे में जाने लगी। धीरे-धीरे घटा बढ़ने लेगा और इस मिल को बंद कर दिया गया।


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