मुंशी प्रेमचंद की रचनाएं आज भी प्रासंगिक
नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में शनिवार को कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद ।
जागरण संवाददाता, गाजीपुर: नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में शनिवार को कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की जयंती मनाई गई। उनके चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। वर्चुअल विचार गोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि उनकी रचनाएं आज भी प्रासंगिक हैं।
राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय में हिदी विभाग की ओर से प्रेमचंद जयंती समारोह पर डा. निरंजन कुमार यादव ने कहा कि वह हिदी के बहु पठित लेखक हैं। हिदी का हर पाठक उनके लेखन पर मंत्रमुग्ध हो जाता है। वह सिर्फ हिदी के ही नहीं, भारतीय साहित्य के भी महत्वपूर्ण लेखक हैं। प्रेमचंद और उनका लेखन अपने समय में भी प्रासंगिक था और आज के समय में भी है। डा. संगीता ने कहा कि स्त्री, दलित और किसान जीवन से जुड़े मुद्दे जब तक बने रहेंगे, तब तक प्रेमचंद की प्रासंगिकता बनी रहेगी। लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रविकांत, प्राचार्य डा. सविता भारद्वाज, डा. शिवकुमार, डा. संतन कुमार राम, डा. सारिका सिंह, डा. उमाशंकर आदि थे। संचालन डा. निरंजन कुमार यादव ने किया।
हमेशा याद किए जाएंगे मुंशी प्रेमचंद
सत्यदेव डिग्री कालेज गाधिपुरम (बोरसिया) फदनपुर में आयोजित कार्यक्रम में निदेशक अमित सिंह रघुवंशी ने मुंशी प्रेमचंद के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वह व्यक्ति नहीं थे, बल्कि एक सोच और विचार थे जो शाश्वत रहेंगे।
समाज में जब-जब सामाजिक विसंगतियों पर चर्चा होगी, तब उन्हें याद किया जाएगा। प्राचार्य डा. सुनील कुमार सिंह, दिनेश सिंह आदि थे। जयंती पर वर्चुअल विचार गोष्ठी
दिलदारनगर : मुंशी प्रेमचंद्र की जयंती पर कवि जनार्दन ज्वाला के निवास पर वर्चुअल विचार गोष्ठी में पत्रकार व लेखक रामअवतार शर्मा ने कहा कि दुनिया के महान रचनाकारों में मुंशी प्रेमचंद्र का नाम शुमार है। जब तक साहित्य संसार रहेगा तब तक उनकी रचनाएं प्रासंगिक रहेंगी। कवि जनार्दन ज्वाला ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद की रचना गोदान, गबन के अलावा उनकी कहानियों ने आम आदमी को बहुत प्रभावित किया। शायर खुर्शीद खां उनको दुनिया का एक बड़ा रचनाकार बताया। सुरेंद्र पांडे, वेद प्रकाश श्रीवास्तव, आदि थे। अध्यक्षता राम बचन व संचालन कुमार प्रवीण ने किया।
अंतिम दिनों तक साहित्य सृजन में लगे रहे मुंशी प्रेमचंद
खानपुर : क्षेत्र के शिक्षण संस्थानों सहित साहित्य प्रेमियों ने कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद्र की जयंती मनाई। सिधौना स्थित रामलीला भवन में साहित्यकार डा. रामजी बागी ने कहा कि प्रेमचंद्र ने ग्रामीण परिवेश की पृष्ठभूमि पर अपनी धारदार लेखनी से जन जागृति एवं लोक परंपराओं पर अपनी लेखनी का गहरा असर छोड़ा है। रामकृत सिंह, सुब्बा यादव, तारकेश्वर मिश्रा, सरकार मिश्र, रामपाल सिंह, राम बरत सिंह, शर्मा प्रसाद आदि थे।