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कार्रवाई के बजाय कर दिया लेखपाल का स्थानांतरण, जांच भी अधूरी

जागरण संवाददाता दुल्लहपुर (गाजीपुर) जखनियां ब्लाक के धामूपुर गांव में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि में घोटाले के बाद अब तक कार्रवाई नहीें हुई।

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Jan 2021 09:44 PM (IST)Updated: Tue, 19 Jan 2021 09:44 PM (IST)
कार्रवाई के बजाय कर दिया लेखपाल का स्थानांतरण, जांच भी अधूरी
कार्रवाई के बजाय कर दिया लेखपाल का स्थानांतरण, जांच भी अधूरी

जागरण संवाददाता, दुल्लहपुर (गाजीपुर) : जखनियां ब्लाक के धामूपुर गांव में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि में हुई बड़े पैमाने की अनियमितता की जांच 25 दिनों बाद भी पूरी नहीं हो सकी है। यही नहीं, इस अनियमितता में शामिल लेखपाल राकेश यादव पर कार्रवाई की बजाय एसडीएम सूरज यादव द्वारा पड़ोस के गांव जमसड़ा में उनका स्थानांतरण कर दिया गया। यह हाल तब है जब खुद जिलाधिकारी इस मामले को लेकर सख्त चेतावनी दे चुके हैं। विदित हो कि जागरण ने खबर प्रकाशित कर इसका राजफाश किया था। इस पर हुई जांच में अब तक 87 फर्जी किसान मिल चुके हैं। धामूपुर गांव में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि में सैकड़ों ऐसे लोगों का पंजीकरण कर दिया गया था, जिनके नाम से एक धूर भी जमीन नहीं है। इस खबर दैनिक जागरण ने अपने 26 दिसबर के अंक में जमीन एक धूर भी नहीं और ले रहे किसान सम्मान निधि शीर्षक से प्रमुखता से प्रकाशित किया। इससे संबंधितों में खलबली मच गई और उसी दिन से जांच शुरू कर दी गई। जिला कृषि अधिकारी मृत्युंजय सिंह ने जांच के लिए छह सदस्यीय टीम गठित की। जांच में परत-परत पोल खुलने लगी और गांव के कुल छह में अब तक चार मौजों की जांच में कुल 87 फर्जी किसान मिल चुके हैं। जिलाधिकारी के संज्ञान में यह मामला आने के बाद उन्होंने इसमें संलिप्त सभी के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने के साथ रिकवरी का सख्त आदेश दिया। करीब 15 दिनों से जांच ठप है। इसके कारण अभी तक शेष दो मौजे मोलनापुर तथा झोटारी की जांच पूरी नहीं हो सकी है। इस संबंध में जखनियां एसडीएम सूरज कुमार यादव से संपर्क करने के लिए कई बार काल किया गया, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। महिला किसानों ने कृषि कानून का किया विरोध

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जागरण संवाददाता, खानपुर (गाजीपुर) : क्षेत्र के हथौड़ा में भाकपा माले और एपवा की महिलाओं ने मंगलवार को महिला किसान दिवस मनाकर नई कृषि नीति का विरोध किया। कम्युनिस्ट पार्टी की महिला संगठन अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन की सदस्य सरोज यादव ने कहा कि ग्रामीण अंचल के कृषि कार्य में खेतों से लेकर खलिहान तक पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर महिलाएं भी सहयोग करती हैं। केंद्र सरकार की नए कृषि नीति से महिला किसान भी प्रभावित और पीड़ित हैं। महिलाएं सृष्टि की जन्मदात्री और संचालिका भी हैं। नए कृषि कानून की विसंगतियों का सबसे ज्यादा प्रभाव महिलाओं पर पड़ेगा। महंगाई और मंडी की मार से फसलों की कीमत किसानों के बजाय उद्योगपति तय करेंगे और हमारी जमीन बड़ी कंपनियों में गिरवी रहेगी। सरकार किसानों के दमनकारी कृषि कानून को वापस ले । कालिदी देवी, पुष्पा देवी, सुमन, कमलावती देवी, सावित्री, आजाद यादव, सुभाष कुमार आदि थे।


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