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जीवनदायिनी ही नहीं मोक्षदायिनी भी हैं गंगा

जासं गाजीपुर राजकीय महिला पीजी कालेज में निर्मल गंगा जागरुकता अभियान के तहत गंगा की पौराणिक कथाएंविषय पर एक विचार अभिव्यक्ति कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता एसोसिएट प्रोफेसर संस्कृत डा. अनीता कुमारी ने गंगा नदी के स्वर्ग से धरती पर अवतरण के पौराणिक आख्यान तथा वर्तमान में गंगा नदी की प्रासंगिकता के विषय से उपस्थित छात्राओं को अवगत कराया। छात्राओं ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

By JagranEdited By: Published: Fri, 24 Jan 2020 04:54 PM (IST)Updated: Sun, 26 Jan 2020 06:05 AM (IST)
जीवनदायिनी ही नहीं मोक्षदायिनी भी हैं गंगा
जीवनदायिनी ही नहीं मोक्षदायिनी भी हैं गंगा

जासं, गाजीपुर : राजकीय महिला पीजी कालेज में निर्मल गंगा जागरूकता अभियान के तहत 'गंगा की पौराणिक कथाएं' विषय पर एक विचार अभिव्यक्ति कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता एसोसिएट प्रोफेसर संस्कृत डा. अनीता कुमारी ने गंगा नदी के स्वर्ग से धरती पर अवतरण के पौराणिक आख्यान तथा वर्तमान में गंगा नदी की प्रासंगिकता के विषय से उपस्थित छात्राओं को अवगत कराया। छात्राओं ने भी अपने विचार व्यक्त किए। एमए अर्थशास्त्र की छात्रा स्वाति वर्मा ने गंगा की पौराणिकता एवं जीवन में गंगा के महत्व विषय पर अपनी बात रखी। कहा कि गंगा जीवनदायिनी ही नहीं अपितु मोक्षदायिनी भी है। गंगा मात्र नदी न होकर पूजनीय एवं मातृस्वरूप है। सबीना परवीन ने कहा कि आईने अकबरी में भी गंगा का महत्व वर्णित है। स्वयं अकबर गंगा को अमृत समान मानते थे। वंदना यादव ने कहा कि गंगा नदी का पवित्र जल अद्भुत एवं अद्वितीय है। गंगोत्री का जल वर्षों तक रखने पर भी हमेशा स्वच्छ बना रहता है। मीडिया प्रभारी डा. शिवकुमार आदि रहे।

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