मोहनपुरवां में वोट लेने के बाद मुड़कर नहीं देखी बदहाली
वर्षों से अपने विकास की राह तक रहा मोहनपुरवां
मोहनपुरवां में वोट लेने के बाद मुड़कर नहीं देखी बदहाली
जागरण संवाददाता, गाजीपुर : नगर पालिका क्षेत्र के वार्ड नंबर दो मोहनपुरवां वर्षों से अपने विकास की राह तक रहा है, कई सभासद आएं और अपना कार्यकाल पूरा कर चले गए। लेकिन इसकी स्थिति जस की तस बनी हुई है। आज भी इस वार्ड में खुली नालियां, टूटा-फूटा खडंजा व कच्चा मार्ग पड़ा हुआ है। जबकि यह वार्ड शहर के मुख्य स्थल पर है इसके सामने जिला पशु चिकित्सालय, मेडिकल कालेज, आरटीआइ चौराहा, नवीन स्टेडियम, आरसेटी जैसे संस्थान है। यहां मुख्य मार्ग आरटीआइ चौराहा से पुलिस लाइन जाने वाली सड़क पर भी नाली की व्यवस्था नहीं है। यहां के लोगों को हर चुनाव में वादा मिलता है। लेकिन चुनाव के बाद सब अपने-अपने घर हो लेते है, फिर दोबारा चुनाव में ही नजर आते हैं।
नगर पालिका के विकास की वास्तविकता मोहनपुरवां जैसे वार्ड बया कर रहे हैं। इस वार्ड की स्थिति यह है कि पूरे पांच साल बीतने को है, नगर पालिका चुनाव अब सर पर आ गया है, लेकिन विकास के नाम पर एक कार्य नहीं हुआ है। पिछले सभासदों के कार्यकाल में इस वार्ड में लगभग 30-35 लाख रुपये खर्च कर जो कार्य कराया गया था, उसी के भरोसे अभी भी वार्ड चल रहा है। इसमें भी कुछ कार्य आज भी अधूरे पड़े हैं। वार्ड की गलियों में पानी खुले में बह रहा है। रही सही कसर सीवर सिस्टम डालने वाली कार्यदायी संस्था ने गलियों को खोदकर छोड़कर पूरा कर दिया है। सड़क व नाली न होने से मुहल्ले के लोग परेशान हैं, लेकिन इनकी सुनने वाला कोई नहीं है।
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मै लंबे समय से बीमार चल रहा हूं इस समय वाराणसी ट्रामा सेंटर में भर्ती हूं। इससे कुछ भी बताने में असमर्थ हूं- संजय, सभासद वार्ड नंबर दो, मोहनपुरवां
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इस कार्यकाल में वार्ड में एक पैसे का कार्य नहीं हुआ है। पिछले कार्यकाल को जो कार्य था भी उसे भी सीवर सिस्टम डालने में खोदकर छोड़ दिया गया। इससे यहां चलना भी मुश्किल हो गया है।-रामकृत राम, निवासी
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खुली नालियों से पानी सड़क पर बहता रहता है, इससे लोगों को अावागमन करने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है वहीं नालियों से दुर्गंध व मच्छर पैदा होते है। जिससे यहां पर रहना दुभर हो गया है, लेकिन क्या किया जाए, घर छोड़कर कही जा भी नहीं सकते।-रामजी, निवासी
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इस मुहल्ले में सभासद व नगर पालिका प्रतिनिधि केवल चुनाव के समय ही दिखाई देते हैं। उसके बाद तो कोई यह भी नहीं जानना चाहता कि जिससे हम वोट मांगे थे, उससे कम से कम एकबार मिल तो लें। विकास तो बहुत दूर की बात है। जैसे पहले था आज भी वैसे ही है।- लक्ष्मण पाल, निवासी
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खुली नालियां होने से बहुत दिक्कत होती है कभी-कभी छोटे बच्चे खेलते-खेलते इसमें गिर जाते है, रास्ता सहीं नहीं होने के कारण कई बार राहगीर बारिश में समझ नहीं पाते कि नाली कहां है सड़क कहा और उसी में घुस जाते है।
- पुष्पा देवी. निवासी।