एफएसएसएआइ ने दिया मंदिर के भोग को शुद्धता प्रमाण पत्र
जागरण संवाददाता गाजीपुर धार्मिक स्थलों पर प्रसाद और लंगर की गुणवत्ता का एफएसएसएआइ से जार
जागरण संवाददाता, गाजीपुर: धार्मिक स्थलों पर प्रसाद और लंगर की गुणवत्ता का एफएसएसएआइ से जारी प्रमाण पत्र 'भोग' पाने वाला नवापुरा स्थित दुर्गा, शिव साई मंदिर जनपद का पहला व पूर्वांचल का दूसरा मंदिर है। इससे पहले वाराणसी में संकट मोचन मंदिर को यह प्रमाण पत्र मिला है। यह जनपद के लिए गौरव की बात है, यह सर्टिफिकेट जिला खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन जिलाधिकारी के हाथों मंदिर ट्रस्ट को जल्द ही सौंपेगा।
भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्रधिकरण (एफएसएसएआइ) से मंदिरों के प्रसाद व लंगर की गुणवत्ता की जांच के बाद 'भोग' (ब्लैसफुल हाइजैनिक आफरिग टू गाड) सर्टिफिकेशन दिया जाता है। धर्मिक स्थलों पर भी खाने-पीने की चीजों को लेकर स्वास्थ्य स्टैंडर्ड को बनाए रखने के लक्ष्य से इस तरह के सर्टिफिकेशन को बढ़ावा दिया जा रहा है।
क्या है भोग सर्टिफिकेशन?
यह एक तरह की खास पहल है, जिसके तहत धार्मिक स्थलों को सर्टिफिकेशन के लिए चिन्हित किया जाता है। इसमें प्रसाद बेचने वाले वेंडर्स और पैक व खुले में उपलब्ध खोन-पीने की चीजें शामिल होती हैं। इस सर्टिफिकेशन जारी होने की तारीख से दो साल तक के लिए मान्य होता है। एफएसएसएआइ से मान्यता प्राप्त किसी एजेंसी से मंदिर या अन्य धार्मिक स्थल की आडिट करवाकर क्वालिटी के आधार पर कुछ स्टार दिए जाते हैं। अगर पहले आडिट के संतोषजनक नतीजे नहीं मिलते हैं तो दूसरी बार आडिट किया जाता है, इसके बाद संबंधित फूड सेफ्टी कमिश्नर सीईओ से सर्टिफिकेशन जारी करने की सिफारिश की जाती है, इसके बाद एफएसएसएआइ कीसे ट्रेनिग और ऑडिट की रिपोर्ट के साथ भोग सर्टिफिकेशन जारी कर दिया जाता है।
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मंदिर के प्रत्येक वेंडर व पुजारी को फूड सेफ्टी ट्रेनिग एंड सर्टिफिकेशन की ट्रेनिग करा ली गई है। आडिट के बाद फूड सेफ्टी एंड स्टैंर्डड आथर्टी आफ इंडिया के सीईओ अरुण सिघल ने जारी किया है। इसे जल्द ही जिलाधिकारी के माध्यम से मंदिर ट्रस्ट को सौंपा जाएगा।
-अजीत मिश्रा जिला अभिहित अधिकारी