जिलाधिकारी ने अस्थायी गोवंश आश्रय स्थल का लिया जायजा
जिलाधिकारी के. बालाजी ने शनिवार को पशु अस्पताल परिसर में बने अस्थाई गोवंश आश्रय स्थल का निरीक्षण किया। उन्होंने पशुओं की देखभाल के बारे में अधिकारियों से जानकारी ली। इसके बाद नगर पालिका की ओर से बनाए जाने वाले अंत्येष्टि स्थल का निरीक्षण किया। गंगा सेतु के निर्माणाधीन एप्रोच कार्य का भी जायजा लेकर जरूरी दिशा-निर्देश दिया।
जासं, जमानियां (गाजीपुर) : जिलाधिकारी के. बालाजी ने शनिवार को पशु अस्पताल परिसर में बने अस्थाई गोवंश आश्रय स्थल का निरीक्षण किया। उन्होंने पशुओं की देखभाल के बारे में अधिकारियों से जानकारी ली। इसके बाद नगर पालिका की ओर से बनाए जाने वाले अंत्येष्टि स्थल का निरीक्षण किया। गंगा सेतु के निर्माणाधीन एप्रोच कार्य का भी जायजा लेकर जरूरी दिशा-निर्देश दिया।
अस्थायी आश्रय स्थल पर जांच के दौरान सब कुछ ठीक मिला। यहां पर 113 बेसहारा पशुओं को रखा गया है। इनकी देखभाल के लिए एसबीएम प्रभारी विजय शंकर राय के नेतृत्व में आधा दर्जन कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है। जिलाधिकारी ने अधिशासी अधिकारी और नपा अध्यक्ष से पशुओं की संख्या और उनके देखभाल को लेकर किये जा रहे इंतजाम की जानकारी ली। पशुओं के गोबर से वर्मी कम्पोस्ट जैविक खाद बनाने के लिए बनाए गए टैंकों को देखा और संतोष व्यक्त किया। उन्होंने कर्मचारियों की हौसलाअफजाई करते हुए कहा कि पशुओं की बेहतर ढंग से देखभाल कीजिये। इसमें धन की कमी नहीं होने दी जाएगी। यहां से वह बलुआ घाट पंहुचे। वहां नगर पालिका की ओर से बनाए जाने वाले अंत्येष्टि स्थल का निरीक्षण किया। इसके बाद गंगा सेतु के निर्माणाधीन एप्रोच कार्य का निरीक्षण किया। एसडीएम रमेश मौर्य, अधिशासी अधिकारी श्रीचंद्र, नगर पालिका अध्यक्ष एहसान जफर, तहसीलदार अनिल कुमार, सभासद शाहिद नियाजी, पंकज निगम, कालिका, उद्धव पांडेय, अमरनाथ गोविद आदि थे।
------ चारा के अभाव में चार और पशुओं की मौत
कासिमाबाद : क्षेत्र के बड़ौरा गांव स्थित अस्थाई निराश्रित गोवंश आश्रय स्थल में चारा के अभाव में शनिवार को भी चार पशुओं की मौत हो गई। अब तक 36 से ज्यादा पशुओं की भूख से मौत हो चुकी है। इस आश्रय स्थल में प्रतिदिन तीन-चार पशुओं की मौत हो रही है। कई पशु बीमार हो गए हैं। आश्रय स्थल में अब 350 पशु हैं। चारा के अभाव में पशुओं की दशा काफी दयनीय हो चुकी है। चारा के नाम पर केवल पुआल की व्यवस्था है जबकि शासन की तरफ से प्रति पशु प्रतिदिन 30 रुपये मिलते हैं। इसके बावजूद लापरवाही बरती जा रही है।