27 लाख का घोटाला कर पहुंचा हाइकोर्ट, अब फरार
गाजीपुर: 27 लाख रुपये के घोटाले के आरोपी निलंबित सचिव की जब हाइकोर्ट में दाल न गली तो वह भूमिगत हो गया। मरदह ब्लाक के डोड़सर गांव के इस मामले में दूसरे आरोपी ग्राम प्रधान पर भी इतने ही लाख रुपये के गबन का आरोप है। फिलहाल उसका खाता सीज है लेकिन सचिव नोटिस ही नहीं रिसीव कर रहा है। ऐसे में उससे रिकवरी के और तरीकों पर कवायद चल रही है।
- ग्रामप्रधान व सचिव मिलीभगत कर 54 लाख रुपये का किए हैं गबन
- मरदह ब्लाक के डोडसर गांव का है मामला
- नोटिस रिसीव करने के बजाय सचिव फरार सर्वेश कुमार मिश्र
--------------- जागरण संवाददाता, गाजीपुर: 27 लाख रुपये के घोटाले के आरोपी निलंबित सचिव की जब हाइकोर्ट में दाल न गली तो वह भूमिगत हो गया। मरदह ब्लाक के डोड़सर गांव के इस मामले में दूसरे आरोपी ग्राम प्रधान पर भी इतने ही लाख रुपये के गबन का आरोप है। फिलहाल उसका खाता सीज है लेकिन सचिव नोटिस ही नहीं रिसीव कर रहा है। ऐसे में उससे रिकवरी के और तरीकों पर कवायद चल रही है।
मरदह ब्लाक के डोडसर गांव में 54 लाख के गबन करने की शिकायत मिली। उच्चाधिकारियों के निर्देश पर बीते अप्रैल माह में परियोजना निदेशक ने मामले की जांच की। इसमें करीब 54 लाख रुपये का गबन सामने आया। इस घोटाले पर अधिकारी भी अचंभित रहे। करीब चार मई को पीडी ने ग्राम प्रधान रामबली यादव का खाता का सीज करने का आदेश देते हुए तत्कालीन सचिव राजेश कुमार को निलंबित कर दिया। एफआइआर दर्ज करते हुए दोनों से 27-27 लाख रुपये की रिकवरी का आदेश दिया गया। इसके बाद सचिव ने बरगलाना शुरू किया। आरोप है कि इसमें स्थानीय स्तर के कुछ अधिकारियों ने भी उसका बखूबी साथ निभाया। रणनीति के तहत उसे निलंबन लेटर दिया ही नहीं गया, जिससे कोर्ट जाने का रास्ता मिल गया। हाइकोर्ट पहुंचे राजेश ने आरोप लगाया कि मुझे निलंबित तो कर दिया गया है लेकिन अभी तक निलबंन लेटर नहीं दिया गया। इस पर कोर्ट ने विभाग को पत्र जारी करते हुए जवाब मांगा। पत्र मिलने के बाद डीडीओ मिश्री लाल ने सचिव के कारनामे की जानकारी के साथ अपना जवाब बनाकर भेज दिया। डीडीओ का जवाब देखने के बाद से ही वह फरार है। ऐसे में अब सचिव से रिकवरी को लेकर महकमा और तरीकों पर विचार कर रहा है। ---
विभागीय मिलीभगत से कार्रवाई में हो रही देरी
सचिव राजेश कुमार का विभाग पर अच्छी पकड़ है। यही कारण है कि उसे कानूनी रूप से मदद दिलाने के उद्देश्य से निलंबन लेटर नहीं दिया गया। इतना ही नहीं जब डीडीओ हाइकोर्ट जवाब भेजने के बाद उनकी फाइल मांगे तो इसमें भी काफी देरी की गई। डीडीओ को बरगलाने की भी कोशिश की गई। उनके कड़े रुख पर सचिव राजेश के काले चिट्ठे को दिया गया।
----- हाइकोर्ट के पत्र का जवाब बनाकर भेज दिया गया है। संबंधित सचिव को नोटिस दी गई है लेकिन वह उसे रिसीव नहीं कर रहा है। शेष पत्रावलियों को मंगाकर जांच की जा रही है। जल्द ही इस मामले में कड़ा एक्शन लिया जाएगा।
- मिश्री लाल, डीडीओ।