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देशी 'फ्रीज' पर भी कोरोना का साया

जागरण संवाददाता गाजीपुर भले ही मौसम के करवट बदलते ही तेज गर्मी हो गई हो लेकिन इन दि

By JagranEdited By: Published: Sat, 01 May 2021 06:03 PM (IST)Updated: Sat, 01 May 2021 06:03 PM (IST)
देशी 'फ्रीज' पर भी कोरोना का साया
देशी 'फ्रीज' पर भी कोरोना का साया

जागरण संवाददाता, गाजीपुर : भले ही मौसम के करवट बदलते ही तेज गर्मी हो गई हो, लेकिन इन दिनों इस गर्मी से राहत पहुंचाने और कंठ को शीतल करने वाले मटकों का कारोबार पूरी तरह से ठंडा पड़ा हुआ है। जहां गर्मी की भनक पड़ते ही मटकों की दुकान पर जमावाड़ा लग जाता था, वही दुकानें आज कोरोना महामारी की इस संकट घड़ी में ग्राहकों की राह ताक रहीं हैं। इससे कुम्हारों के चेहरे पर मायूसी साफ झलक रही है।

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दो साल पहले तक दुकानों पर आकर घड़ा और सुराही की खरीदारी के लिए लाइन तक में लगे रहते थे, लेकिन इस बार आलम यह है कि शाम तक दो से तीन ग्राहक ही मटकों की खरीदारी को आ रहे हैं। ऐसे में विक्रेता और कुम्हार मटकों की बिक्री के लिए इंतजार कर रहे हैं। कुम्हारों के धंधे पर कोरोना का ग्रहण लग गया है।

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मटके और सुराही के रेट बढ़े

मिश्र बाजार स्थित एक दुकान पर विष्णु ने बताया कि मटके और सुराही के दाम दो सालों की अपेक्षा इस बार ज्यादा हैं। पहले जो मटका 150 रुपये में बिकता था वो अब 200 में बिक रहा है। 100 वाला 150 और 50 वाली सुराही भी अब 80 से 90 रुपये तक में बिक रही है।

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अब तो दो वक्त की भी नहीं जुटा पा रहे

मटका बनाने वाले प्रकाश प्रजापति ने बताया कि मटके और सुराही बेचने का सीजन एकमात्र गर्मियों का ही होता है। पहले जहां गर्मियों में हर रोज 20 से 25 मटके बिक जाते थे, वहीं इस बार कोरोना और सप्ताह में तीन दिन के लाकडाउन की वजह से पूरे दिन में अब तीन से चार मटके बेचना भी किसी चुनौती से कम नहीं रह गया है। लोग खरीदारी के लिए नहीं आ रहे हैं। जिस वजह से दो वक्त की रोटी का इंतजाम कैसे हो चिता सताने लगी है।


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