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रोडवेज बस चलाने को लेकर सीएम पोर्टल पर गुहार

जनपद मुख्यालय से लगभग 50-55 किमी पश्चिमोत्तर स्थित दर्जनों गांवों के लोगों को जिला तहसील व ब्लाक मुख्यालय जाने के लिए रोडवेज बसों की कोई व्यवस्था नहीं है। इससे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 05 Dec 2020 10:03 PM (IST)Updated: Sat, 05 Dec 2020 10:03 PM (IST)
रोडवेज बस चलाने को लेकर सीएम पोर्टल पर गुहार
रोडवेज बस चलाने को लेकर सीएम पोर्टल पर गुहार

जागरण संवाददाता, बहरियाबाद (गाजीपुर) : जनपद मुख्यालय से लगभग 50-55 किमी पश्चिमोत्तर स्थित दर्जनों गांवों के लोगों को जिला, तहसील व ब्लाक मुख्यालय जाने के लिए रोडवेज बसों की कोई व्यवस्था नहीं है। इससे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। आजमगढ़ सीमा पर स्थित गदाईपुर, पलिवार, भाला खुर्द, माधोटांडा, सरसौली आदि गांव के लोगों को लगभग 8-12 किमी की दूरी तय कर बहरियाबाद आना पड़ता है। यहां से जिला मुख्यालय लगभग 45 किमी व ब्लाक मुख्यालय सादात लगभग 10 किमी तक जाने के लिए सुबह संचालित मात्र दो प्राइवेट बसें ही उपलब्ध हैं। तहसील मुख्यालय जखनियां लगभग 20 किमी जाने के लिए सुबह मात्र एक प्राइवेट बस ही चलती है। बीते दिनों इब्राहिमपुर निवासी सोनू सिंह ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर पत्र लिखकर जिला मुख्यालय से वाया जंगीपुर व बुजुर्गा होते हुए शादियाबाद- बहरियाबाद होते हुए जनपद के पश्चिमोत्तर आखिरी छोर पर स्थित गांव पलिवार व गदाईपुर आदि गांवों तक गमनागमन हेतु रोडवेज बस चलाने की मांग की है। जवाब में आख्या देते हुए सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक, उप्र राज्य सड़क परिवहन निगम ने लिखा है कि सर्वे कराकर स्टापेज एवं मार्ग की स्थिति देखने के उपरांत निगम बस चलाने पर विचार कर सकता है।

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सड़कों पर अवैध ओवरलोडिंग जारी

जागरण संवाददाता, मुहम्मदाबाद (गाजीपुर) : प्रशासन की ओर से भले ही ओवरलोड वाहनों के संचालन पर बार-बार कार्रवाई की बातें कही जाती है, लेकिन इलाके की सड़कों पर चल रहे अवैध ओवरलोड माल ढोने वाले वाहन प्रशासन के कारनामों पर प्रश्न चिह्न खड़ा कर रहे हैं।

शासन की ओर से ट्रैक्टर को कृषि कार्य के काम आने वाला वाहन मानकर उसे काफी सहूलियत प्रदान की जाती है। इलाके में अब ट्रैक्टर में काफी बड़े बड़े ट्राली जोड़कर (जिसमें मिनी ट्रक के बराबर माल लोड किया जा सकता है) खुलेआम संचालन किया जा रहा है। उन ट्रालियों से हमीद सेतु से गंगा पार कर रात में ओवरलोड लाल बालू लादकर इलाके में पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है। जबकि इन ट्रैक्टर-ट्रालियों का किसी तरह के मालवाहन में पंजीकरण नहीं है। जबकि इन ट्रैक्टर ट्रालियों पर पिकप से अधिक बालू व अन्य प्रकार के माल की ढुलाई का कार्य किया जा रहा है। इन ट्रैक्टर ट्रालियों पर केवल कृषि कार्य हेतु का स्लोगन भी लिखा होता है। ताज्जुब की बात यह है कि उक्त ट्रैक्टर ट्राली पुलिस के सामने से गुजरने के बाद भी वह पता नहीं किन वजहों से उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं होती। इसको लेकर लोगों में इस बात की चर्चा है कि केवल बाइकों की जांच कर पुलिस कोरम पूरा कर लेती है। वास्तव में जो अवैध वाहन संचालित हो रहे हैं उनका पुलिस से कोई लेना देना नहीं है।


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