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मगई से हुए नुकसान का मिलने लगा मुआवजा

जागरण संवाददाता लौवाडीह (गाजीपुर) बीते अक्टूबर में मगई के पानी से नष्ट हुई फसल के मुआवजा को लेकर दैनिक जागरण की ओर से चलाए गए अभियान का लाभ अब किसानों को मिलने लगा है। क्षेत्र के लौवाडीह जोगामुसाहिब सियाड़ी मसौनी पारो रेड़मार सहित अधिकांश गांव के किसानों के किसान क्रेडिट कार्ड के खाते में फसल मुआवजा की पहली किस्त आने लगी है। हालांकि मगई नदी के प्रकोप का असर क्षेत्र में अब भी है। यही कारण है कि क्षेत्र में करीब 250 बीघा खेतों में फसल की बोआई नहीं हो पाई है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 17 Jan 2020 04:52 PM (IST)Updated: Fri, 17 Jan 2020 04:52 PM (IST)
मगई से हुए नुकसान का मिलने लगा मुआवजा
मगई से हुए नुकसान का मिलने लगा मुआवजा

जागरण संवाददाता लौवाडीह (गाजीपुर) : बीते अक्टूबर में मगई के पानी से नष्ट हुई फसल के मुआवजा को लेकर दैनिक जागरण की ओर से चलाए गए अभियान का लाभ अब किसानों को मिलने लगा है। क्षेत्र के लौवाडीह, जोगामुसाहिब, सियाड़ी, मसौनी, पारो, रेड़मार सहित अधिकांश गांव के किसानों के किसान क्रेडिट कार्ड के खाते में फसल मुआवजा की पहली किस्त आने लगी है। हालांकि मगई नदी के प्रकोप का असर क्षेत्र में अब भी है। यही कारण है कि क्षेत्र में करीब 250 बीघा खेतों में फसल की बोआई नहीं हो पाई है।

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फसल मुआवजा का लाभ केवल उन्हीं किसानों को मिल रहा है जिन्होंने अपने किसान क्रेडिट कार्ड से अप्रैल से जुलाई के बीच रुपया निकाला है या जिनके फसल का बीमा हुआ है। मिलने वाले लाभ से किसान काफी खुश हैं। किसान संजय राय, मनोज राय, रमेश यादव, आशुतोष राय आदि ने दैनिक जागरण के प्रति आभार व्यक्त किया। उनका कहना है कि लगातार किसानों के पक्ष में उनके हक के लिए अभियान चलाया गया। ज्ञात हो कि मछुआरे द्वारा लगाए गए जाल व शारदा नहर द्वारा अक्टूबर में पानी छोड़े जाने के कारण धान व बाजरा की फसल नष्ट हो गई थी। रबी की बोआई भी प्रभावित हुई। जले पर नमक तब छिड़का जाने लगा जब इंश्योरेंश कंपनी द्वारा क्षति का आंकलन कम दर्शाया गया। उस समय दैनिक जागरण ने किसानों का उनका हक दिलाने के लिए उनके साथ मिलकर 30 अक्टूबर से 14 नवंबर तक अभियान चलाया। अभियान के तहत सियाड़ी, राजापुर, जोगामुसाहिब, पारो, लौवाडीह, परसा, गोंड़उर सहित कई गांव में किसानों ने धरना प्रदर्शन शुरू किया। अंत मे प्रशासन ने जाल को हटवाया। कृषि विभाग, इंश्योरेंश कंपनियों और प्रशासनिक अधिकारियों ने किसानों की क्षति का सही सत्यापन कराया। इसके बाद अब उनको इसका लाभ मिलने लगता है।


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