बेजुबानों को ठंड, अफसरों ने ओढ़ी 'चादर'
जागरण संवाददाता गाजीपुर शहर में बेसहारा पशुओं की भरमार है। मोहल्लों से लेकर सड़
जागरण संवाददाता, गाजीपुर :
शहर में बेसहारा पशुओं की भरमार है। मोहल्लों से लेकर सड़क और हाईवे तक बेजुबान ठंड से ठिठुर रहे हैं और जिम्मेदार अफसर चादर तान कर सो रहे हैं। सरकार ने घूमने वाले पशुओं को गोशालाओं तक पहुंचाने का आदेश दिया है। बावजूद इसके इस ठंड में पशुओं को ठौर नहीं मिला। ये बेसहारा पशु न सिर्फ फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, बल्कि आए दिन इनकी वजह से हादसे भी होते हैं।
जनपद में करीमुद्दीनपुर व परजीपह में स्थायी गोशाला है, जबकि 24 अस्थायी बनाए गए हैं। इनमें से कुछ ही जगहों पर ही बेसहार पशुओं के लिए ठंड से बचाव के उपाय किए गए हैं। शासन ने तीन जनवरी को शासनादेश जारी कर निर्देशित किया था कि दस जनवरी तक सड़कों व गांवों में घूम रहे बेसहारा पशुओं को पकड़ कर गो-आश्रय केंद्र तक पहुंचाया जाए। इसके लिए जनपद को लक्ष्य दिया गया था कि अधिक से अधिक संख्या में सड़कों पर घूम रहे गोवंशों को पकड़कर गो-आश्रय स्थल तक पहुंचाया जाए। जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह ने मुख्य पशुचिकित्साधिकारी को नोडल बनाया था। नोडल अधिकारी ने जिला पंचायत राज विभाग के सफाईकर्मियों व खंड विकास अधिकारियों के साथ जनपद में संचालित हो रहे पशुचिकित्सालयों पर तैनात 38 पशु चिकित्सकों को यह जिम्मेदारी सौंपी थी। शासन के आदेश के बावजूद नगर में सैकड़ों बेसहारा पशु घूमते दिखाई दे रहे हैं। नगर के वंशीबाजार, रोडवेज, रेलवे, रौजा, महुआबाग, शास्त्रीनगर आदि स्थानों पर ये बेसहारा पशु कूड़ों में बैठे रहते हैं लेकिन जिम्मेदारों की नजर इनपर नहीं पड़ती है।
एक टीम को रोज दस पशु पकड़ने का था लक्ष्य
प्रत्येक टीम को एक दिन में दस बेसहारा पशुओं को आश्रय केंद्र पहुंचाने का लक्ष्य दिया गया था। कितु समय बीतने के बाद भी अभी तक 448 गोवंशों को ही पूरे जनपद से गो-आश्रय स्थल भेजा जा सका। जबकि आंकड़ों के हिसाब से अभी तक कम से कम एक हजार से अधिक गोवंश नगर व गांवों में घूम रहे हैं। मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डा.एसके रावत ने बताया कि पशुओं को पकड़ने के लिए टीम लगी है, जहां पशु दिखाई देते हैं, उन्हें पकड़कर गोशाला पहुंचा दिया जाता है।