बच्चों की पगड़ी ने पेश की राष्ट्रीय एकता की मिसाल
मुहम्मदाबाद यह इलाका पहले से ही सांप्रदायिक सौहार्द का मिसाल पेश करते आ रहा है। इसका जीता - जागता उदाहरण जुलूस मुहम्मदी में शामिल बच्चों ने पेश कर इस लम्हे के यादगार बना दिया। जुलूस में शमिल तीन बच्चों में एक ने केसरिया तो दूसरे ने सफेद और तीसरे ने हरे रंग की पगड़ी बांध कर तिरंगे का जो नजारा प्रस्तुत किया उसे भुलाया नहीं जा सकता है।
जासं, मुहम्मदाबाद (गाजीपुर) : इस इलाके ने सदा सांप्रदायिक सौहार्द का मिसाल पेश किया है। इसका जीता - जागता उदाहरण जुलूस मुहम्मदी में शामिल बच्चों ने पेश कर इस लम्हे के यादगार बना दिया। जुलूस में शमिल तीन बच्चों में एक ने केसरिया तो दूसरे ने सफेद और तीसरे ने हरे रंग की पगड़ी बांध कर तिरंगे का जो नजारा प्रस्तुत किया उसे भुलाया नहीं जा सकता है। तिरंगे के स्वरूप को प्रस्तुत करते इन बच्चों को जिसने देखा वह गौरवान्वित हो उठा।
नगर सहित इलाके में होली के त्योहार में हिदू-मुस्लिम दोनों के आपस में मिलकर रंग व गुलाल खेलने की परंपरा रही है तो मुहर्रम में हिदू समुदाय के लोग शामिल होकर लाठी लड़ाने की परंपरा का आज भी निर्वहन करते आ रहे हैं। राम जन्मभूमि आंदोलन, विवादित ढांचा टूटने, देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए दंगे या अन्य जगहों पर विकट परिस्थितियां सामने आईं लेकिन यहां का हिदू, मुस्लिम, सिख समुदाय के लोग कभी आपस में बंटे हुए नहीं दिखे। अयोध्या मामले का फैसला आने के बाद भी यहां के लोगों ने सबकी शंकाएं निर्मूल साबित हुईं। पूरे नगर में अमन चैन का माहौल रहा। किसी भी समुदाय के तरफ से न तो खुशी मनाने का दिखावा किया गया और नहीं किसी तरफ से किसी तरह के विरोध का नाटक। नगर के लोगों के आपसी मेलजोल को देख प्रशासनिक अधिकारी भी तारीफ करते नहीं अघा रहे। इसका नमूना मुहम्मद साहब के यौमे विलादत पर भी देखने को मिला। जब यह बच्चे पगड़ियां बांधकर सड़कों पर निकले तो सभी की निगाहें इस क्षेत्र की एकता पर इतराते हुए इसे बुरी नजरों से बचाने की दुआ कर रही थीं।