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एक बारिश भी न झेल सकी सड़क

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गड्ढा मुक्त अभियान को भी पीडब्ल्यूडी ने गंभीरता से नहीं लिया और इसमें जमकर खेल किया गया। हालत यह हो गई तब 25 जून को फरमान जारी होने के बाद आनन-फानन में सड़कों को गड्ढा मुक्त तो किया गया लेकिन घटिया सामाग्री के कारण सड़क एक बारिश भी न झेल सकी और फिर से यथा स्थिति कायम हो गई। पीडब्ल्यूडी के इस उदासीनता के कारण अब तक कई की जान भी जा चुकी है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 09 Sep 2019 06:26 PM (IST)Updated: Mon, 09 Sep 2019 06:26 PM (IST)
एक बारिश भी न झेल सकी सड़क
एक बारिश भी न झेल सकी सड़क

जासं, बारा (गाजीपुर) : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गड्ढा मुक्त अभियान को भी पीडब्ल्यूडी ने गंभीरता से नहीं लिया और इसमें जमकर खेल किया गया। हालत यह हो गई तब 25 जून को फरमान जारी होने के बाद आनन-फानन में सड़कों को गड्ढा मुक्त तो किया गया लेकिन घटिया सामाग्री के कारण सड़क एक बारिश भी न झेल सकी और फिर से यथा स्थिति कायम हो गई। पीडब्ल्यूडी के इस उदासीनता के कारण अब तक कई की जान भी जा चुकी है।

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बारा क्षेत्र के मगरखाई मोड़ से फुटबाल मैदान तक करीब दो किमी लंबा मार्ग पीडब्ल्यूडी के खेल का शिकार हो गया। करीब 20 वर्ष तक सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे बने रहे। इसको लेकर काफी हो हल्ला मचा फिर भी सड़क न बन सकी। प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सड़कों को गड्ढा मुक्त करने का फरमान जारी किया। इस पर विभागीय इंजीनियर और ठेकेदारों के तालमेल से व्यापक स्तर पर मनमानी की गई, जो सड़क बनाई भी गई तो वह बनते ही गड्ढे में तब्दील हो गई। इस सड़क में गड्ढे हैं अथवा गड्ढों में सड़क फर्क कर पाना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। 15 जून को फरमान जारी होने पर करीब दो वर्ष पूर्व सड़क की मरम्मत हुई। इसमें आपसी मिलीभगत कर खानापूर्ति कर छोड़ दिया गया। इसका परिणाम यह निकला कि लाखों रुपये से मरम्मत हुई इस यह सड़क एक बारिश भी न झेल सकी और फिर से सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे बन गए। इसकी हालत पूरी तरह दयनीय हो चुकी है। स्थानीय लोग खून के आंसू रो रहे हैं। पीडब्ल्यूडी के अधिकारी व ठेकेदार तालमेल कर घटिया सामग्री का प्रयोग कर बजट भी हजम कर गए। मार्ग की दुर्दशा के कारण ही अबतक कई की मौत भी हो चुकी है। सड़क पर जगह-जगह बने गड्ढों में घुटने भर से अधिक पानी लग गया है।


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