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श्रद्धा भक्ति के साथ मां कात्यायनी का पूजन-अर्चन

गा•ाीपुर नगर सहित ग्रामीण इलाकों में सोमवार को वासंतिक नवरात्रि के नवदुर्गा के छठवें स्वरूप में मां कात्यायनी की पूजा की गई। घरों में महिलाओं के साथ बड़ी संख्या में कुंवारी कन्याओं ने भी पूजन किया। मां के जयकारे से घर आंगन गूंज उठा। भक्तों ने मां की पूजा कर महामारी कोरोना का प्रकोप समाप्त करने की मन्नतें मांगी।

By JagranEdited By: Published: Mon, 30 Mar 2020 04:22 PM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2020 04:23 PM (IST)
श्रद्धा भक्ति के साथ मां कात्यायनी का पूजन-अर्चन
श्रद्धा भक्ति के साथ मां कात्यायनी का पूजन-अर्चन

जासं, गा•ाीपुर : नगर सहित ग्रामीण इलाकों में सोमवार को वासंतिक नवरात्रि के नवदुर्गा के छठवें स्वरूप में मां कात्यायनी की पूजा की गई। घरों में महिलाओं के साथ बड़ी संख्या में कुंवारी कन्याओं ने भी पूजन किया। मां के जयकारे से घर आंगन गूंज उठा। भक्तों ने मां की पूजा कर महामारी कोरोना का प्रकोप समाप्त करने की मन्नतें मांगी।

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कोरोना प्रकोप के कारण हुए लॉकडाउन के चलते देवी मंदिरों के कपाट बंद हैं। इसके चलते लोग घरों में ही रहकर मां की पूजा कर रहे हैं। व्रती श्रद्धालु मां का पूजन -अर्चन करते हुए महामारी को खत्म करने की प्रार्थना कर रहे हैं। खानपुर : मां कात्यायनी का जन्म कात्यायन ऋषि के घर हुआ था इसीलिए इन्हें कात्यायनी कहा जाता है। सिंहवाहिनी मां के चार भुजाओं में अस्त्र शस्त्र और कमल का पुष्प है। ये ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी है और गोपियों ने कृष्ण की प्राप्ति के लिए इनकी पूजा की थी जिससें विवाह संबंधी मामलों में इनकी पूजा अचूक होती है। योग्य और मनचाहा पति इनकी कृपा से प्राप्त होता है। कत नामक एक प्रसिद्ध महर्षि थे जिनके पुत्र ऋषि कात्य हुए और कात्य गोत्र में विश्वप्रसिद्ध महर्षि कात्यायन उत्पन्न हुए थे। इन्होंने भगवती परमाम्बा की उपासना करके मां भगवती को अपने घर पुत्री के रूप में पाया। दानव महिषासुर का अत्याचार पृथ्वी पर बढ़ गया तब भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों ने अपने-अपने तेज का अंश देकर महिषासुर के विनाश के लिए एक देवी को कात्यायनी बनाया। माँ कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत चमकीला और भास्वर है। इनकी चार भुजाओं में दाहिनी तरफ का ऊपरवाला हाथ अभयमुद्रा में तथा नीचे वाला वरमुद्रा में है। बाईं तरफ के ऊपरवाले हाथ में तलवार और नीचे वाले हाथ में कमल-पुष्प सुशोभित है। कात्यायनी की भक्ति और उपासना द्वारा मनुष्य को बड़ी सरलता से अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति हो जाती है। वह इस लोक में स्थित रहकर भी अलौकिक तेज और प्रभाव से युक्त हो जाता है।

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आज पूजी जाएंगी कालरात्रि

नवरात्री के सातवें दिन मंगलवार को मां दुर्गा के कालरात्रि रूप की पूजा की जाएगी। भयानक श्याम वर्ण स्वरूपा विकराल रौद्र अंगीकार मां संसार के काल का नाश करने वाली कालरात्रि कहलाती हैं।


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