शिक्षाविद व अर्थशास्त्रियों ने बजट को सराहा
यह बजट बाजार केंद्रित न होकर समाज के कल्याणोन्मुखी है। सरकार का ध्यान किसानों की समस्याओं की तरफ गया है। छोटे किसानों को प्रतिमाह पांच सौ की मदद पर्याप्त तो नहीं है, लेकिन अच्छी पहल है। इसमें प्रत्येक वर्ग के हितों को ध्यान दिया गया है। मध्यम वर्ग आयकर में छूट से राहत महसूस करेगा।
यह बजट बाजार केंद्रित न होकर समाज के कल्याणोन्मुखी है। सरकार का ध्यान किसानों की समस्याओं की तरफ गया है। छोटे किसानों को प्रतिमाह पांच सौ की मदद पर्याप्त तो नहीं है, लेकिन अच्छी पहल है। इसमें प्रत्येक वर्ग के हितों को ध्यान दिया गया है। मध्यम वर्ग आयकर में छूट से राहत महसूस करेगा। इनकी क्रय शक्ति बढ़ने से बाजार को गति मिलेगी। ढांचागत विकास पर बल थोड़ा कम दिया गया है। राजकोष घाटा तीन प्रतिशत तक के लक्ष्य से दशमलव चार प्रतिशत ज्यादा है। इससे भी आर्थिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
डा. श्रीकांत पांडेय, एसोसिएट प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष अर्थशास्त्र पीजी कॉलेज केंद्रीय बजट 2019 जैसा कि अनुमान था सभी के लिए कुछ न कुछ राहत लेकर आया है। आयकर छूट की सीमा पांच लाख मध्यम वर्ग और वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए बहुप्रतीक्षित मांग थी। किसानों के लिए भी राहत भरी योजनाएं बजट को विशेष बना रही हैं लेकिन सरकार को कृषि क्षेत्र में कुछ और करना चाहिए था जिससे अन्नदाताओं को और राहत मिले। स्टैंडर्ड डिडिक्शन 50 हजार भी एक अच्छा कदम है जो करदाताओं को प्रोत्साहित करेगा। सब मिलाकर लोकसभा चुनाव से पूर्व पेश बजट में जनता के हर वर्ग को खुश करने का प्रयास किया गया है।
डा. आरके पांडेय, असिस्टेंट प्रोफेसर पीजी कालेज यह बजट टैक्स स्लैब में परिवर्तन कर एक ऐसे मध्य वर्ग जिनकी संख्या 3 करोड़ थी। उनकी छूट की सीमा ढाई लाख से बढ़ाकर पांच लाख कर दिया गया। उनको व उनके परिवार के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है। इसकी जितनी सराहना की जाए कम है।
दीपक पांडेय, अधिवक्ता आयकर व जीएसटी