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सीने पर खाई गोलियां, तिरंगे को झुकने नहीं दिया

गोपाल सिंह यादव मुहम्मदाबाद (गाजीपुर) स्वतंत्रता हमें कैसे मिली इसका जीता-जागता गवाह तहसील म

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 Aug 2020 08:25 PM (IST)Updated: Mon, 17 Aug 2020 08:25 PM (IST)
सीने पर खाई गोलियां, तिरंगे को झुकने नहीं दिया
सीने पर खाई गोलियां, तिरंगे को झुकने नहीं दिया

गोपाल सिंह यादव : मुहम्मदाबाद (गाजीपुर) : स्वतंत्रता हमें कैसे मिली इसका जीता-जागता गवाह तहसील मुख्यालय पर स्थापित शहीद स्मारक भवन व शहीदों की याद में बनाया गया शहीद पार्क है। जब आजादी की बात होती है तो बरबस ही जेहन में 18 अगस्त 1942 का वह दिन याद आ जाता है, जब महात्मा गांधी के अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन के आह्वान का असर क्षेत्र के युवाओं पर पड़ा। गांधीजी के आह्वान पर 14 अगस्त 1942 को शेरपुर के जमुना गिरी के नेतृत्व में युवक गौसपुर हवाई अड्डा पर पहुंच कर आग लगा दिए। वहां सुरक्षा में तैनात अंग्रेज सिपाहियों ने हवाई फायरिग शुरू कर दी। फायरिग में जमुना गिरी घायल हो गए, उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।

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आंदोलन का असर इलाके में पूरी तरह से अपना असर दिखा चुका था। 18 अगस्त 1942 को शेरपुर के डा. शिवपूजन राय के नेतृत्व में तहसील भवन पर झंडा फहराने के लिए शेरपुर हनुमान मंदिर पर एकत्रित हुए युवकों के सीने में यमुना गिरी का बदला लेने की आग धधक रही थी। वहां से युवक यमुना गिरी का बदला लेना है, भारत माता की जय आदि नारा लगाते हुए तहसील पर तिरंगा फहराने के लिए चल दिए। आंदोलनकारी युवक बड़की बारी गांव के पास एकत्रित हुए, वहां से निहत्थे हाथों में तिरंगा लेकर तहसील पर पहुंचे। जब वह तहसील भवन पर झंडा फहराने के लिए परिसर में घुसने लगे इसी दौरान अंग्रेज सरकार के गुलाम तहसीलदार ने उन्हें झंडा फहराने से रोका। युवकों के न रुकने पर तहसीलदार ने गोली चलाने का आदेश दिया, फायरिग शुरू हो गई। बावजूद युवकों के अंदर का उत्साह बढ़ता गया। सीने पर गोलियां खाते रहे। एक गिरता गया दूसरा तिरंगा पकड़ता गया, तिरंगे को झुकने नहीं दिए और तहसील पर तिरंगा फहरा कर ही माने। गोली लगने से मौके पर ही डा. शिवपूजन, वंश नारायण राय ऋषेश्वर राय, श्रीनारायण राय, वंश नारायण राय, राजा राय, वशिष्ठ नारायण राय, रामबदन उपाध्याय शहीद हो गए। गोली लगने से जख्मी सीताराम राय को मृत समझकर अंग्रेज अधिकारियों ने बेसो नदी में ले जाकर फेंक दिया, जो काफी दिनों तक जीवित रहे। आजादी के बाद वह जिदा शहीद के नाम से जाने जाते रहे। इस घटना के बाद बौखलाए अंग्रेजों ने शेरपुर में दमन शुरू कर दिया 29 अगस्त को अंग्रेजों की गोली से रमाशंकर लाल श्रीवास्तव, खेदन सिंह यादव व राधिका पांडेय शहीद हो गए। इनके याद में भी शेरपुर में शहीद पार्क का निर्माण कराया गया है। आजादी की लड़ाई में आगे विकास के मामले में पीछे मुहम्मदाबाद : देश को आजाद कराने की लड़ाई में भले ही यह इलाका आगे रहा लेकिन राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव जनप्रतिनिधियों की निजी स्वार्थपरकता व जात-पात व ऊंच-नीच की लड़ाई के चलते इलाका विकास के मामले में कहीं भी टिक नहीं पा रहा है। सड़के चलने लायक नहीं हैं। चिकित्सालय में इलाज की समुचित व्यवस्था नहीं है। इलाज जांच व दवा के नाम पर लोगों का शोषण होता रहा है। रोजगार की व्यवस्था न होने से युवाओं को बेरोजगारी का दंश झेलना पड़ रहा है। युवा पीढ़ी पलायन को मजबूर है। शहीदों के पैतृक गांव शेरपुर के ही सेमरा व शिवराय का पुरा गंगा कटान के चलते अपने भूगोल को भी इतिहास में बदल चुका है। काफी लोग आज भी विस्थापन की जिदगी जी रहे हैं। कटान के चलते शहीदों का गांव शेरपुर भी पूरी तरह से अपने अस्तित्व से जूझ रहा है। कटान रोकने को लेकर शासन की ओर से सेमरा व शिवराय का पुरा के पास काफी धन खर्च करके ठोकर व कटर का निर्माण कराया गया है जो आने वाले समय में गांव के लिए वरदान साबित हो सकता है। शहीदों के सपने को साकार करने के लिए व्यवस्था से जुड़े लोगों को चाहिए कि वे क्षेत्र के युवाओं को रोजगार मुहैया कराएं साथ ही साथ इलाके को विकास की मुख्यधारा से जोड़ें यही शहीदों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।


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