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अयोध्या भेजे जाएंगे गाय के गोबर से बने 1100 दीये

दीपावली पर अयोध्या इस बार गाय के गोबर से बने दीयों से जगमगाएगा।

By JagranEdited By: Published: Mon, 01 Nov 2021 07:17 PM (IST)Updated: Mon, 01 Nov 2021 07:17 PM (IST)
अयोध्या भेजे जाएंगे गाय के गोबर से बने 1100 दीये
अयोध्या भेजे जाएंगे गाय के गोबर से बने 1100 दीये

जागरण संवाददाता, गाजीपुर : दीपावली पर अयोध्या इस बार गाय के गोबर से बने दीयों से जगमगाएगा। इसके लिए गाजीपुर से भी 1100 दीये जाएंगे। स्वदेशी जागरण मंच ने कासिमाबाद के आशीष राय आर्गेनिक एक्टिविस्ट को आर्डर दिया है। आशीष राय गांव के युवाओं के साथ दीये बनाने में जुटे हैं। गाय के गोबर से आकर्षक मूर्तियां भी तैयार की जा रहीं हैं।

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कासिमाबाद ब्लाक के महड़ोर निवासी आशीष राय को अयोध्या में एक लाख दीये का आर्डर मिला था। आर्डर मिलने के बाद पूरे उत्साह से दीये तैयार करने का कार्य शुरू हो गया था। आशीष राय ने बताया ऐसे में आर्डर को कम कर 11 सौ दिए कर दिए। दो रुपये पर पीस से इसे बेचा जाएगा। लगभग बनकर तैयार इस दिए को धनतेरस के एक दिन बाद वह खुद अयोध्या ले जाएंगे। बताया कि इसे गम पाउडर, चूने के पानी, इमली के बीज के पाउडर आदि के समिश्रण से बनाया जाता है। वह वोकल फार लोकल को बढ़ावा देने के साथ ही गोसंरक्षण का पूरे जनपद में संदेश दे रहे हैं। इससे पहले वह गाय के गोबर से इको फ्रेंडली राखी भी बनाए थे। इसके साथ ही गाय के गोबर से ही गणेश, लक्ष्मी की आकर्षक मूर्तियां भी तैयार कर रहे हैं। इसमें आशीष के साथ उनकी पत्नी व परिवर्तन एक पहल फाउंडेशन की अध्यक्ष श्वेता राय भी पूरे मनोयोग से लगी हुई हैं।

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गोसंरक्षण है प्रमुख उद्देश्य

: आशीष राय का प्रमुख उद्देश्य गोसंरक्षण है। उनका कहना है कि लोग गाय पालते हैं। दूध निकालने के बाद उसे कसाई को बेच देते हैं। ऐसे लोगों से हम मिलते हैं और बताते हैं कि उसके गोबर से भी अच्छी कमाई हो सकती है। गाय जितना दूध देती है उससे चार गुना अधिक गोबर करती है। देसी गाय का डिमांड इसलिए ज्यादा है कि क्योंकि उसमें प्रोटीन और फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जिससे मजबूती होती है। आशीष एक रुपये प्रति किलो गोबर खरीदते हैं।

---- महाराष्ट्र व दिल्ली जाती हैं मूर्तियां

: आशीष राय द्वारा गाय के गोबर से बनाई गई मूर्तियां की डिमांड गैर प्रांतों में अधिक है। उनकी सबसे अधिक मूर्तियां महाराष्ट्र के मुम्बई व पुणे में ज्यादा है। अब उनकी मूर्तियां झारखंड के रांची, दिल्ली और बनारस में जाती हैं।

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बीकानेर से लिए प्रशिक्षण

: आशीष गांव के ही अनिल गुप्ता के साथ बिकानेर में इसकी ट्रेनिग लिए हैं। वहां से आने के बाद गांवों में जागरूकता शुरू किया। आज लोगों को निश्शुल्क ट्रेनिग भी देते हैं। बताया कि आगे एक समूह बनाकर इसमें महिलाओं को जोड़ा जाएगा। आशीष के साथ इनकी पत्नी श्वेता राय, अनिल गुप्ता, मिटू गुप्ता व कृष्णा कार्य कर रहे हैं।


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