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नियंत्रण कक्ष की मदद से जरूरतमंदों को मिला राशन-भोजन, घर पहुंचे कामगार

जासं गाजियाबाद प्रथम लॉकडाउन के साथ ही जिले में स्थापित किए गए कोरोना जिला नियंत्रण कक्ष स

By JagranEdited By: Published: Thu, 06 Aug 2020 09:06 PM (IST)Updated: Thu, 06 Aug 2020 09:06 PM (IST)
नियंत्रण कक्ष की मदद से जरूरतमंदों को मिला राशन-भोजन, घर पहुंचे कामगार
नियंत्रण कक्ष की मदद से जरूरतमंदों को मिला राशन-भोजन, घर पहुंचे कामगार

जासं, गाजियाबाद : प्रथम लॉकडाउन के साथ ही जिले में स्थापित किए गए कोरोना जिला नियंत्रण कक्ष से जहां लाखों जरूरतमंदों तक खाना पहुंचा तो वहीं कामगारों को भी अपने घर भेजने में मदद मिली। इंटीग्रेटेड कंट्रोल रूम से अब लगातार कोरोना को नियंत्रित करने का प्रयास जारी है। शासन के आदेश पर जिलाधिकारी ने 26 मार्च को जिला आपदा नियंत्रण कक्ष स्थापित कराया था। कंट्रोम रूप से किस तरह कितना काम अभी तक किया गया है, जिलाधिकारी ने इसकी रिपोर्ट अपर मुख्य सचिव के भेजी है।

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जिलाधिकारी अजय शंकर पांडेय ने रिपोर्ट में बताया कि नियंत्रण कक्ष में माह जून से कोविड संक्रमण सैनिटाइजेशन आदि स्वास्थ्य विभाग की शिकायतों में दिन प्रतिदिन वृद्धि हुई। शुरुआत से ही लॉकडाउन को लागू करने, कामगारों को अपने गंतव्य तक पहुंचाने और लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंदों को राशन किट और खाना पहुंचाने आदि का कार्य नियंत्रण कक्ष की मदद से सफलतापूर्वक किया गया। अनलॉक-1 में कोरोना संक्रमण का प्रसार तेजी से होने लगा तो जिला एमएमजी अस्पताल में स्थापित चिकित्सा कंट्रोल रूम द्वारा नियंत्रण कक्ष को भी मैनेज किया जा रहा था। जिलाधिकारी का कहना है कि समीक्षा में स्वास्थ्य विभाग की टीमों में सामंजस्य का अभाव था। टीमों के वरिष्ठ अधिकारी कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए शासन प्रशासन द्वारा किए जा रहे प्रयासों के अनुरूप कार्य नहीं कर पा रहे थे। इसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग से संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए एकीकृत व्यवस्था लागू करने के लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के नियंत्रण कक्ष को विकास भवन स्थित जिला आपदा नियंत्रण कक्ष में ही विलय कर लिया गया। मेडिकल टीमों के नोडल अधिकारी अपर जिलाधिकारी यशवर्धन श्रीवास्तव के निर्देशन में कार्य करने के लिए निर्देशित किया गया। नियंत्रण कक्ष से पॉजिटिव मरीज की रिपोर्ट तुरंत पुलिस को उपलब्ध कराई जाती है, जिससे संबंधित कार्रवाई की जा सकें। कोविड-19 मरीजों की दूरभाष से काउंसिलिग कराने के लिए थानावार उत्तरदायित्व सौंपा गया है। एंबुलेंस की केंद्रीकृत व्यवस्था लागू कराई गई है। कोविड मरीजों से फोन पर बात कर उनके संपर्क में आने वाले लोगों की जानकारी लेने और सैंपलिग करने के लिए 900 टीमों का गठन किया गया है। पांच सैंपलिग कलेक्शन सेंटर स्थापित किए गए हैं। नियंत्रण कक्ष द्वारा मरीजों की ट्रेसिग, संपर्क ट्रेसिग, कोविड अस्पतालों की व्यवस्था पर निगरानी, कंटेंमेंट जोन की सीलिग और डी-सीलिग का पर्यवेक्षण और प्रतिदिन की सभी रिपोर्ट का गूगल शीट पर अपडेशन किया जाता है। वर्तमान घर-घर जाकर सर्वे करने वाली और निगरानी समितियों पर मॉनीटरिग भी नियंत्रण कक्ष द्वारा ही की जा रही है। सभी कार्यों की रिपोर्ट जिलाधिकारी अजय शंकर पांडेय ने अपर मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश को भेजी।

कोविड-19 से निपटने के लिए प्रशासन पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। इंटीग्रेटेड कंट्रोल रूम के माध्यम से कोरोना मरीजों पर निगाह रखी जा रही है। प्रशासन ने इंटीग्रेटेड कंट्रोल रूम के माध्यम से कोरोना वायरस से 24 घंटे लड़ने की योजना तैयार की है।

-अजय शंकर पांडेय, जिलाधिकारी


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