धूप के साथ बढ़ता गया चुनावी चर्चा का पारा
कड़ाके की ठंड के बीच इंदिरापुरम की बहुमंजिला इमारतों में रहने वाले लोग धूप लेने या स
कड़ाके की ठंड के बीच इंदिरापुरम की बहुमंजिला इमारतों में रहने वाले लोग धूप लेने या सैर करने के लिए बाहर निकलते हैं तो पार्क व नुक्कड़ पर चुनावी चौपाल लग जाती है। इस चौपाल में कोई अपने राजनीतिक समीकरण जोड़ता दिखाई देता है तो कोई अपने मुद्दे बताता है। इंदिरापुरम का स्वर्ण जयंती पार्क इससे अछूता नहीं है। दोपहर के वक्त पार्क में धूप ले रहे लोगों की चर्चा सरगर्मी बढ़ा रही थी। विभिन्न पार्टियों के विषय में लोग अपने-अपने तर्क दे रहे थे। इस सबके बीच इस बात पर सभी सहमत थे कि इस बार जाति धर्म से ऊपर उठकर देश की एकता, अखंडता और विकास के नाम पर मतदान करेंगे। दैनिक जागरण के संवाददाता धनंजय वर्मा की रिपोर्ट। स्वर्ण जयंती पार्क के बीचोबीच लगी बेंचों पर ऐसी ही चौपाल चल रही थी। बातों बातों में नीति खंड-एक की भारती मिश्रा ने बात छेड़ दी कि यूपी गेट पर एक साल से अधिक समय तक प्रदर्शनकारी बैठे रहे। इससे इंदिरापुरम और आसपास के लोगों को सबसे ज्यादा परेशानी हुई। रास्ता बंद होने के कारण दिल्ली पहुंचने में 10 मिनट की जगह एक घंटे से ज्यादा समय लगने लगा। इस बीच घनश्याम नेहरा ने उनके सुर में सुर मिलाते हुए कहा कि प्रदर्शनकारियों ने तीनों कृषि कानूनों के फायदे नहीं समझे। तीनों कृषि कानून देश और किसानों के हित में थे। कानूनों के लागू होने से समृद्धि आती, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि प्रदर्शनकारी समझने को तैयार नहीं हुए। इसी बीच शक्ति खंड - चार के विरेंद्र नाथ केसरवानी ने हां में हां भरते हुए सुरक्षा का मुद्दा उठा दिया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में महिलाएं खुद को सुरक्षित महसूस कर रही हैं। यह किसी बड़े विकास से कम नहीं है। तभी इस चर्चा में बैठे 80 साल के बुजुर्ग सदानंद सरदाना ने कहा कि मैंने वो वक्त भी देखा है जब फिरौती और रंगदारी मांगने के डर से व्यापारी खुद को सुरक्षित नहीं महसूस करते थे। अब छोटे - बड़े व्यापारी बिना किसी भय के रोजगार कर रहे हैं। तभी शक्ति खंड - दो निवासी भगवानदास अग्रवाल बोल पड़े कि चाचा सुरक्षा तो ठीक है, लेकिन बेरोजगारी आज सबसे बड़ा मुद्दा बन गई ही। पढ़ाई करने के बाद युवाओं के पास रोजगार नहीं है। अब चुनाव पास आया तो कई विभागों में भर्तियां निकली हैं। भगवानदास की बात को काटते हुए शक्ति खंड - दो के आरके श्रीवास्तव ने कहा कि सरकार महंगाई और बेरोजगारी की समस्या पर काम कर रही है। कोरोना संकट में भारत ही नहीं विश्व के अन्य देशों में भी बेरोजगारी और महंगाई की समस्या आई। सरकार अच्छा काम कर रही है। देश की एकता और अखंडता के लिए जो किया वह कोई और सरकार नहीं कर सकती है। सब वोट बैंक की राजनीति करते हैं देश सुरक्षा की नहीं। तभी बेंच पर बैठे जेआर बक्शी जोश में खड़े हो गए और उन्होंने कहा कि विभिन्न राजनीतिक पार्टियां वोट के लिए मुफ्त में बिजली देने का दावा कर रही हैं। क्या वह लोगों को बिजली अपने घर से देंगी। ऐसी पार्टियां विद्युत निगम को घाटे में ले जाएंगी। फिर जनता से ही वसूलकर इसकी भरपाई की जाएगी। हमें मुफ्त में बिजली नहीं चाहिए। बिजली की दरों में छूट देना ही बहुत है। वहीं, केएल खत्री ने कहा कि सरकार अच्छा काम कर रही है, लेकिन पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ने के कारण सामान की ढुलाई महंगी हो गई है। सरकार डीजल व पेट्रोल के दाम कम करने की भी दिशा में काम करें।