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काला बंदर पर फिल्म बनाते-बनाते रियल स्टोरी पर बना दी धाकड़ छोरा : उत्तर कुमार

शाहनवाज अली गाजियाबाद उत्तर प्रदेश से लेकर हरियाणा उत्तराखंड दिल्ली में हरियाणवी फिल्म के कलाकार उत्तर कुमार किसी परिचय का मोहताज नहीं हैं। सत्रह साल पहले आई धाकड़ छोरा फिल्म ने उन्हें पहचान दी। इसके बाद उनकी अब तक करीब 60 फिल्में आ चुकी हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 10 Jul 2021 10:33 PM (IST)Updated: Sat, 10 Jul 2021 10:33 PM (IST)
काला बंदर पर फिल्म बनाते-बनाते रियल स्टोरी पर बना दी धाकड़ छोरा : उत्तर कुमार
काला बंदर पर फिल्म बनाते-बनाते रियल स्टोरी पर बना दी धाकड़ छोरा : उत्तर कुमार

शाहनवाज अली, गाजियाबाद : उत्तर प्रदेश से लेकर हरियाणा, उत्तराखंड, दिल्ली में हरियाणवी फिल्म के कलाकार उत्तर कुमार किसी परिचय का मोहताज नहीं हैं। सत्रह साल पहले आई धाकड़ छोरा फिल्म ने उन्हें पहचान दी। इसके बाद उनकी अब तक करीब 60 फिल्में आ चुकी हैं। अपने शुरुआती संघर्ष के सफर से इस मुकाम तक पहुंचने को लेकर उत्तर कुमार ने राजनगर में दैनिक जागरण से बात की। प्रस्तुत है उनसे वार्ता के प्रमुख अंश..

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-फिल्मों में आने का इरादा व संघर्ष के बारे में बताइये?

मुझे फिल्म देखने का बचपन से शौक था। जैसे-जैसे बड़ा हुआ हीरो बनने का शौक हुआ, लेकिन मेरे पिता कप्तान सिंह फिल्म बनाने के खिलाफ थे। मां सावित्री देवी ने मेरा साथ दिया। गांव में बिना किसी को बताए मैंने दिल्ली व मुम्बई के चक्कर लगाए। खूब संघर्ष किया। सफलता न मिलने पर फिल्मों में भविष्य तलाश रहे साथियों के साथ धाकड़ छोरा फिल्म बनाई, जो सुपर हिट साबित हुई।

- फिल्म धाकड़ छोरा की कहानी कैसे सूझी। क्या आप जानते थे कि यह इतना हिट होगी?

हम सभी साथियों ने खुद ही फिल्म बनाने की सोची। उन दिनों रात में काला बंदर का गांव-गांव में आतंक था। इसी को लेकर कहानी तैयार कर रहे थे। एक दोस्त ने अपनी प्रेम कहानी सुनाई, जिसे सुनकर काला बंदर पर फिल्म बनाने का इरादा छोड़ा व प्रेम कहानी पर धाकड़ छोरा बनाई। इसने हरियाणवी फिल्मों के रिकार्ड तोड़े। दो संप्रदायों के प्रेमी युगल की कहानी को हर किसी ने पसंद किया। लोग मुझे धाकड़ छोरा के नाम से जानते हैं। -आप अधिकांश फिल्में खुद निर्देशित करते हैं? विषय का चुनाव कैसे करते हैं?

मेरी अधिकांश फिल्मों के विषय सामाजिक ताने-बाने से जुड़े होते हैं। सामाजिक समस्याएं उभारने के साथ संयुक्त परिवार की परंपरा के यहां भी काफी प्रशंसक हैं। इसे कायम रखने के लिए अपनी फिल्मों में संदेश देता हूं। इसमें हास्य का तड़के का पूरा खयाल रखता हूं। - देश के हिदी भाषी राज्यों के अलावा आपके बाहर देशों में भी प्रशंसक हैं?

हां, सबसे पहले मैं पाकिस्तान का नाम लूंगा। वहां के लोग कई बार वीडियो काल कर बताते हैं कि वह उनकी फिल्में देखते हैं व काफी लोग उन्हें पसंद करते हैं। मैं दुबई गया तो लोगों ने कहा कि देखो धाकड़ छोरा आया है। वहां हिदी भाषी लोगों ने बताया कि उनकी फिल्में यू-ट्यूब चैनल पर यहां खूब देखी जाती हैं। - प्रसिद्धि मिलने के बाद कभी बालीवुड का रुख किया?

हां, बालीवुड की अंकुल फिल्म में लीड रोल किया। कुनबा फिल्म में कादर खान, मुश्ताक खान साहब के साथ काम करने व सीखने का मौका मिला। वेब सीरिज में बड़े कलाकारों में रजा मुराद के साथ काम करने का मौका मिला। -आने वाले समय में इन फिल्मों का क्या भविष्य देखते हैं?

सिनेमा कोरोना की वजह से बंद हैं व सिनेमा पर कोई बड़ी फिल्में बनाने की नहीं सोच रहा है। बालीवुड से कहीं ज्यादा हमारी फिल्मों को देखा जा रहा है। मेरी एक फिल्म हैं फजीता। इसे 14 करोड़ बार देखा गया। पिछले दिनों रिलीज हुई राजा फिल्म को दो करोड़ से ज्यादा लोग देख चुके हैं। हमारी फिल्में अफीम की तरह हैं, जिसे लत लग गई, छूटती नहीं। बॉक्स..

राज्जी बोल जा गाने के 16 करोड़ दर्शक

कुछ माह पूर्व रिलीज हरियाणवी गाना राज्जी बोल जा के यू-ट्यूब पर करीब 16 करोड़ दर्शक हो चुके हैं। इसके अलावा यह गीत शादी समारोह व खुशियों के मौके पर डीजे पर खूब बज रहा है। इसे युवाओं ने काफी पसंद किया है। बॉक्स..

कुछ प्रमुख फिल्में

धाकड़ छोरा, फजीता, फक्कड़, छोरा ठाठ का, कर्मवीर, अकड़, निकम्मा, कुनबा, डियर वर्सेज बियर, मन्नु धाकड़मैन, विकास की बहू, खटका, खड़तल, अलझ-पलझ, जिद्दी, भगोड़े, धाकड़ छोरा-2 व हालिया रिलीज राजा प्रमुख फिल्में हैं।


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