तीन जिलों की 42 बेटियों के हाथ हुए पीले
मदन पांचाल गाजियाबाद बेटा तो अमीर का भी बिन ब्याह के रह सकता है लेकिन प्रत्येक गरीब की बेटी का विवाह तय है। इस कहावत को प्रदेश सरकार की कन्या विवाह सहायता योजना ने एक बार फिर सच कर दिया है। श्रमिकों के लिए तो यह योजना वरदान बन गई है। गाजियाबाद के साथ हापुड़ और बुलंदशहर के श्रमिकों की बेटियों के सामूहिक विवाह समारोह में सोमवार को 42 ऐसी बेटियों की भी शादी हुई जिनके पिता का बीमारी के चलते निधन हो चुका है।
मदन पांचाल, गाजियाबाद: बेटा तो अमीर का भी बिन ब्याह के रह सकता है, लेकिन प्रत्येक गरीब की बेटी का विवाह तय है। इस कहावत को प्रदेश सरकार की कन्या विवाह सहायता योजना ने एक बार फिर सच कर दिया है। श्रमिकों के लिए तो यह योजना वरदान बन गई है। गाजियाबाद के साथ हापुड़ और बुलंदशहर के श्रमिकों की बेटियों के सामूहिक विवाह समारोह में सोमवार को 42 ऐसी बेटियों की भी शादी हुई, जिनके पिता का बीमारी के चलते निधन हो चुका है।
लोनी विधायक नंदकिशोर गुर्जर के गांव गनौली निवासी अनिल का एक साल पहले निधन हो गया था। उनकी पत्नी संतोष पंजीकृत श्रमिक हैं। संतोष की तीन बेटी हैं। सोमवार को बड़ी बेटी तान्या का विवाह दिल्ली के बुराड़ी निवासी चंदन संग हुआ। तान्या और चंदन दो साल पहले एक शादी समारोह में मिले थे। दोनों के बीच दोस्ती हुई, जो प्यार में बदल गई। दोनों के स्वजन शादी के लिए तैयार हो गए। धनाभाव में शादी अटकी थी। इंदिरा महिला विकास प्रशिक्षण संस्थान लोनी की प्रबंधक माया चौहान ने आवेदन करा दिया। आर्थिक रूप से कमजोर संतोष बेटी के हाथ पीले होने पर बेहद खुश नजर आई। तान्या ने कहा कि पिता का साया उठने के बाद प्रदेश सरकार की योजना के तहत शादी होने से मां पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ नहीं पड़ा।
महज 50 रुपये में शादी से भर आईं आंखें : गीता के पति सुशील का दो साल पहले निधन हो गया था। गीता निर्माण साइट पर काम कर जीवनयापन करती हैं। बेटी रिया जवान हुई तो शादी की चिता सताने लगी। रिया के लिए सदरपुर निवासी कृष्ण के बेटे राजा को देखकर चुन लिया, लेकिन पैसों की कमी से शादी की तिथि तय नहीं हो सकी। इसी बीच श्रम विभाग के अधिकारियों ने योजना के तहत शादी का फार्म भरवा दिया। गीता सोमवार को बेटी रिया के हाथ पीले होने पर बेहद खुश दिखीं। रिया इंटर पास है, जबकि राजा निजी कंपनी में कार्यरत हैं। गीता ने बताया कि जलालाबाद से कमला नेहरूनगर तक आने का किराया केवल 50 रुपये लगा हैं और बेटी की शादी हो गई है। समारोह में 42 ऐसी कन्याओं का विवाह हुआ, जिन पर पिता का साया नहीं हैं। इन बेटियों की मां के बैंक खाते में योजना के तहत 10 हजार रुपये पहले भेजे जा चुके हैं, जबकि 65 हजार रुपये अगले दो दिन में पहुंच जाएंगे।