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आइआरडीएआइ के अधिकारी व बैंकिग लोकपाल बन लगाते थे चूना

जागरण संवाददाता गाजियाबाद बीमा पालिसी में फायदों का झांसा दे ठगी करने के बाद पीड़ितों क

By JagranEdited By: Published: Sat, 10 Apr 2021 09:14 PM (IST)Updated: Sat, 10 Apr 2021 09:14 PM (IST)
आइआरडीएआइ के अधिकारी व बैंकिग लोकपाल बन लगाते थे चूना
आइआरडीएआइ के अधिकारी व बैंकिग लोकपाल बन लगाते थे चूना

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद: बीमा पालिसी में फायदों का झांसा दे ठगी करने के बाद पीड़ितों को दोबारा ठगने वाले गिरोह का पर्दाफाश कर साइबर सेल टीम ने दो आरोपितों को गिरफ्तार किया है। ठगों ने पालिसी मैच्योर कराने और पूरे फायदे दिलाने का झांसा देकर महाराष्ट्र के एक व्यक्ति के साथ 60 लाख की ठगी की थी। उसने अपने व स्वजन के नाम पर आठ पालिसी ली थीं।

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दोनों इंदिरापुरम में ठगी का काल सेंटर चला रहे थे, जहां से आइआरडीएआइ (बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण) के अधिकारी और बैंकिग लोकपाल बन लोगों को चूना लगाते थे। उन्हें फर्जी दस्तावेज भेजते थे। एसपी सिटी प्रथम निपुण अग्रवाल ने बताया कि दिल्ली के प्रहृलादपुर निवासी नवीन और दयालपुर निवासी पुनीत सिंह तोमर को गिरफ्तार किया गया है। इनसे 10 फोन, आइआरडीडीएआइ के फर्जी गारंटी पत्र, फर्जी आधार कार्ड व विभिन्न बैंकों के नाम से फर्जी दस्तावेज बरामद किए हैं।

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कंपनी से लिया डाटा

सीओ साइबर सेल अभय कुमार मिश्र ने बताया कि दोनों चार साल पहले तक नोएडा स्थित एक कंपनी में काम करते थे। यह कंपनी बीमा कंपनियों को बीपीओ सर्विस देती है। यहीं से डाटा लेकर लोगों के साथ ठगी शुरू की। सीओ ने बताया कि इनके गिरोह में करीब 10 लोग शामिल हैं। पहले लैप्स पालिसी मैच्योर कराने और अतिरिक्त फायदे दिलाने के नाम पर ठगी करते।

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पालिसी मैच्योर के नाम पर की ठगी

साइबर सेल प्रभारी सुमित कुमार ने बताया कि नितिन और पुनीत एक साथ काम करते थे। चार साल पहले महाराष्ट्र के चंदरपुर में थाना मूल क्षेत्र के निवासी संतोष से संपर्क किया। उन्होंने अपने व स्वजन के नाम पर आठ पालिसी ली थीं। मगर प्रीमियम न भर पाने के कारण ये लैप्स हो गई थीं। आरोपितों ने पालिसी मैच्योर कराने और पूरे फायदे दिलाने का झांसा दिया। इसके नाम पर उनसे करीब 60 लाख रुपये जमा करा लिए। कुछ दिन बाद आरोपितों ने फिर से संपर्क किया। इस बार ठगों ने खुद को बैंकिग लोकपाल बताया। दोबारा झांसे में लेने को पालिसी मैच्योर कराने के नाम पर ठगी की बात बताई। कहा कि वे यह रकम वापस कराएंगे। उक्त रकम स्वीकृत होने का फर्जी दस्तावेज बना वाट्सएप पर भी भेजा।

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ऐसे पकड़े

पुलिस का कहना है कि दोनों ने बीते चार साल में 100 से अधिक लोगों से करोड़ों रुपये की ठगी की है। महाराष्ट्र पुलिस ने आरोपितों के नंबर ट्रेस किए तो इनकी लोकेशन गाजियाबाद में मिली। वहां से मिली सूचना के आधार पर पुलिस ने कार्रवाई कर इन्हें दबोच लिया।


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