पद के लालच से होगा 'जिद का ट्रैक्टर मार्च'
अवनीश मिश्र साहिबाबाद कृषि कानून विरोधी प्रदर्शन से युवाओं को जोड़ने में असफल नेताओं ने
अवनीश मिश्र, साहिबाबाद : कृषि कानून विरोधी प्रदर्शन से युवाओं को जोड़ने में असफल नेताओं ने उन्हें पदाधिकारी बनाने का कार्ड खेला है। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने यूपी गेट पर मंडलवार बैठकों में इस पर जोर दिया है। युवाओं को संगठन में पद देकर लुभाने की बात की है। 29 नवंबर के प्रस्तावित संसद तक ट्रैक्टर मार्च को सफल बनाने के लिए अधिक से अधिक युवाओं को भाकियू के पद दिए जाएंगे।
तीनों कृषि कानूनों के विरोध में यूपी गेट पर 28 नवंबर 2020 से प्रदर्शन चल रहा है। शुरुआत में यहां सात-आठ हजार प्रदर्शनकारी डटे रहते थे। 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च के दौरान दिल्ली में हुए उपद्रव के बाद उनकी संख्या सैकड़ों में सिमट गई है। अब संयुक्त किसान मोर्चा ने 29 नवंबर को संसद ट्रैक्टर मार्च निकालने का एलान किया है। इसके तहत यहां से संसद सत्र के दौरान हर दिन 30 ट्रैक्टर और पांच सौ प्रदर्शनकारियों के पहुंचने का दावा किया जा रहा है। राकेश टिकैत इसको लेकर अपनी रणनीति बना रहे हैं। उन्होंने भाकियू के पदाधिकारियों के साथ मंडलवार बैठकें की हैं। युवाओं को प्रदर्शन से जोड़कर संख्या बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि युवाओं को आंदोलन से जोड़ने की जरूरत है। उन्हें संगठन में पद दे दो। तनख्वाह थोड़ी देनी है। युवाओं को जोड़कर इंटरनेट मीडिया पर सक्रियता बढ़ाओ। उनको चौकीदारी, अन्य व्यवस्थाओं और प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी दो। इससे आंदोलन मजबूत होगा।
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संख्या घटने की बात स्वीकारी : राकेश टिकैत ने कहा कि अक्सर देखने में आता है कि रात के समय पहरे पर एक किसान रहता है। फ्लाईओवर के नीचे 20-30 किसान रहते हैं। अधिकारी आकर कहते हैं कि आदमी तो हैं नहीं, रास्ता क्यों रोके हो। उन्होंने पदाधिकारियों से कहा कि अपने टेंटों की संख्या बढ़ाओ, ट्रैक्टर खड़ा करो ऐसा नहीं कर पा रहे हो तो रास्ता खोल दो। राकेश टिकैत ने कहा कि हर गांव का टेंट लगवाओ। रजिस्टर रखकर उसमें किसानों का विवरण दर्ज करो। संसद तक ट्रैक्टर मार्च के लिए कम से कम छह सौ ट्रैक्टर और साढ़े सात हजार किसान चाहिए। इसकी जिम्मेदारी जिलाध्यक्षों और महासचिवों की है।