कार लोन घोटाले में साया ऑटोमोबाइल्स के एमडी को छह साल की सजा
सीबीआइ की विशेष अदालत ने बृहस्पतिवार को नोएडा के इलाहाबाद बैंक से जुड़े 21 साल पुराने कार लोन घोटाले के मामले में तीन अभियुक्तों को दोषी करार देते हुए अलग-अलग सजा सुनाई है। जबकि केस की चौथी अभियुक्त को साक्ष्यों के अभाव में बरी किया है। दोषी करार दिए गए अभियुक्तों में साया ऑटो मोबाइल कंपनी के एमडी इलाहाबाद बैंक के पूर्व मैनेजर समेत तीन अभियुक्त शामिल हैं। सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश अमित वीर सिंह की अदालत ने यह फैसला सुनाया है।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : कार लोन घोटाले के मामले में सीबीआइ की विशेष अदालत ने साया ऑटो मोबाइल्स कंपनी के एमडी रमेश हांडा समेत तीन को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई है। कोर्ट ने साया ऑटो मोबाइल्स की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर बी शांति को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया। सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश अमित वीर सिंह की अदालत ने यह फैसला सुनाया है।
सीबीआइ के लोक अभियोजक कुलदीप पुष्कर ने बताया कि वर्ष 1999-2000 के बीच नोएडा स्थित इलाहाबाद बैंक की आरबीबी शाखा में चार लोगों ने कार लोन के लिए अप्लाई किया था। इस दौरान उन्हें बैंक में मैसर्स फिन कंपनी के प्रोपराइटर प्रदीप गुप्ता मिलें, जिन्होंने एक एजेंट के तौर पर चारों लोगों से लोन पास कराने की बात कही। आरोप है कि प्रदीप गुप्ता ने तत्कालीन बैंक मैनेजर एसके अग्रवाल से साठगांठ कर लोन के लिए आवेदन किया। लोन स्वीकृत होने से पहले प्रदीप गुप्ता ने कार के लिए साया ऑटो मोबाइल्स कंपनी के एमडी रमेश हांडा और उनकी कंपनी की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर बी शांति से संपर्क किया, जिन्होंने कार की एडवांस बुकिग दिखाकर बैंक मैनेजर एसके अग्रवाल से 18.60 लाख रुपये का लोन स्वीकृत करा लिया। स्वीकृत लोन की रकम उन्होंने बैंकर्स चैक के माध्यम से अपने खातों में डलवा ली और कार के लिए आवेदन करने वाले चारों लोगों को बिना कार दिए ही वापस भेज दिया। उन्हें बताया कि लोन स्वीकृत नहीं हुआ।
ऑडिट में बैंक को 18.60 लाख का नुकसान होने की बात पता चली तो 27 अप्रैल 2001 को इलाहाबाद बैंक के एजीएम आरएन मेहरा ने सीबीआइ से शिकायत करते हुए चारों आरोपितों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई। सीबीआइ की टीम ने इस पूरे मामले की जांच करने के बाद चारों आरोपितों के खिलाफ 19 जुलाई 2003 को कोर्ट में चार्जशीट पेश की। लोक अभियोजक कुलदीप पुष्कर ने बताया कि इस मामले में लंबी सुनवाई के बाद बृहस्पतिवार को सीबीआइ की विशेष अदालत ने गवाहों के बयान और सबूतों के आधार पर तीन अभियुक्तों को दोषी करार दिया है। इनमें इलाहाबाद बैंक के पूर्व मैनेजर एसके अग्रवाल को 10 साल का कठोर कारावास और सात लाख रुपये का जुर्माना, अभियुक्त प्रदीप गुप्ता को छह वर्ष की सजा और सात लाख रुपये का जुर्माना और साया ऑटो मोबाइल्स कंपनी के एमडी रमेश हांडा को छह वर्ष की सजा और डेढ़ लाख रुपये का जुर्माने की सजा सुनाई है। इसके साथ ही अदालत ने एक और अभियुक्त एवं एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर बी. शांति को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया है।