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खुद को बदल प्लास्टिक मुक्त समाज बना रहीं इंदिरापुरम की महिलाएं

धनंजय वर्मा साहिबाबाद प्लास्टिक मुक्त समाज बनाकर पर्यावरण संरक्षण के लिए इंदिरापुरम की

By JagranEdited By: Published: Fri, 22 Oct 2021 04:34 PM (IST)Updated: Fri, 22 Oct 2021 04:34 PM (IST)
खुद को बदल प्लास्टिक मुक्त समाज बना रहीं इंदिरापुरम की महिलाएं
खुद को बदल प्लास्टिक मुक्त समाज बना रहीं इंदिरापुरम की महिलाएं

धनंजय वर्मा, साहिबाबाद :

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प्लास्टिक मुक्त समाज बनाकर पर्यावरण संरक्षण के लिए इंदिरापुरम की कई महिलाओं ने मुश्किलों को मात देकर खुद को बदला और और अब चेंज मेकर बन रही हैं। महिलाएं प्लास्टिक को एक सप्ताह तक घर में रखती हैं। हर रविवार को कूड़े को रिसाइकिल करने वाली आइपीसीए (इंडियन पोल्यूशन कंट्रोल एसोसिएशन) संस्था को देती हैं।

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इंदिरापुरम की शिप्रा सनसिटी सोसायटी फेज- एक निवासी जयश्री श्रीधर कहती हैं कि दूध, दही व अन्य सामानों की पालीथीन को कूड़े में फेंकने की बजाय उन्हें रोजाना धुलकर अन्य प्लास्टिक के साथ एक सप्ताह तक घर में रखना और प्रत्येक रविवार को निश्चित स्थान पर प्लास्टिक को ले जाकर देना, आसान नहीं है लेकिन पर्यावरण के लिए अपनी आदतों को बदला। किसी व्यक्ति विशेष से ज्यादा महत्वपूर्ण पर्यावरण के लिए कुछ करना होता है। क्योंकि इस पर्यावरण का सबके ऊपर असर पड़ता है। प्लास्टिक मुक्त समाज बनाने की दिशा में शिप्रा सनसिटी की मधु मानसिंह, तनुश्री के साथ जयश्री पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रही हैं। अब दूसरों को भी प्लास्टिक मुक्त समाज बनाकर पर्यावरण बचाने के लिए जागरूक करती हैं।

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पहले खुद बदला फिर औरों को : इंदिरापुरम के अहिसा खंड - दो की प्रिसेस पार्क निवासी डा. भारती गर्ग का कहना है कि शुरू में लगा कि प्लास्टिक के कूड़े को एकत्र करके रहने से घर गंदा लगेगा लेकिन जब समझ में आया कि अपने घर को साफ रखने के लिए हम पर्यावरण को गंदा कर रहे हैं। लोग पालीथिन के अंदर खाना डालकर फेंक देते हैं, जिन्हें खाकर जानवर बीमार होते हैं। पालीथिन के कारण पौधे नहीं बढ़ पाते हैं। इन सब समस्याओं को देखते हुए पहले खुद को बदला। इसके बाद सोसायटी की रहने वाली नुपुर सहाय, पूनम घई, निधि सिघल समेत 90 महिलाओं को प्लास्टिक मुक्त समाज बनाने के लिए जागरूक किया। सरकार अकेले कुछ नहीं कर सकती है। हम बदलेंगे तो देश बदलेगा। भविष्य के लिए हम बीमा तो करा लेते हैं लेकिन जब पर्यावरण का संरक्षण नहीं करेंगे तो भविष्य ही नहीं रहेगा।


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