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नगर निगम की पहल से निकला गोबर की समस्या का हल

जागरण संवाददाता गाजियाबाद शहर में गोबर की समस्या का हल निकालने के लिए नगर निगम ने वार्ड

By JagranEdited By: Published: Sat, 27 Feb 2021 08:18 PM (IST)Updated: Sat, 27 Feb 2021 08:18 PM (IST)
नगर निगम की पहल से निकला गोबर की समस्या का हल
नगर निगम की पहल से निकला गोबर की समस्या का हल

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद: शहर में गोबर की समस्या का हल निकालने के लिए नगर निगम ने वार्ड संख्या 70 और 21 की 44 डेयरियों से रोजाना गोबर उठाने की पहल की है। इसकी एवज में प्रति जानवर के हिसाब से प्रतिदिन के दस रुपये डेयरी संचालक से लिए जा रहे हैं। गोबर को खाद बनाने के लिए नंदी पार्क लाया जाता है। इस पहल को शुरू हुए महज सात दिन हुए हैं, लेकिन फर्क अभी से ही नजर आने लगा है। दोनों वार्ड में नालियों में अब गोबर बहाना बंद हुआ है।

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खत्म हुआ बेरोजगार होने का डर: डेयरी संचालक सुरेंद्र ने बताया कि गोबर की समस्या का हल न होने के कारण परेशानी का सामना करना पड़ता था। मजबूरी में गोबर नाले में बहाना पड़ता था। ऐसे में लोग विरोध जताते थे, जिस पर नगर निगम द्वारा कार्रवाई की जाती थी। ऐसे में डर लगता था कि डेयरी बंद करनी पड़ जाएगी और बेरोजगार हो जाएंगे। इसके अलावा डेयरियां बंद होती तो दूध की किल्लत होती और दूध के दाम बढ़ने के आसार थे। महंगाई के कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता। लेकिन नगर निगम की पहल से न केवल गोबर की समस्या का हल निकला है बल्कि डेयरी संचालकों को बेरोजगार होने का खतरा भी कम हुआ है। दस रुपये प्रति जानवर के हिसाब से लिया जा रहा दैनिक शुल्क भी ज्यादा नहीं है, डेयरी संचालक इसे वहन कर सकते हैं। शहर में डेयरियों की स्थिति: शहर में वर्तमान में 2,000 से अधिक डेयरियां संचालित हैं। मुख्यतौर पर विजयनगर जोन, नंदग्राम, पसौंडा, मोरटा, दुहाई, राजेंद्रनगर, साहिबाबाद में ज्यादातर डेयरियां संचालित हैं। डेयरी संचालकों के पास गोबर का निस्तारण करने के लिए जगह नहीं है। नगर निगम द्वारा अब डेयरियों का पंजीकरण कराया जाएगा। जो डेयरियां नियम के तहत चल सकती हैं, उनको ही चलने की अनुमति दी जाएगी। इसके बाद अगर कोई डेयरी संचालक सहयोग नहीं करेगा तो पशु जब्त कर नीलाम किए जाएंगे। गोबर से वायु, जल और मृदा तीनों तरह का प्रदूषण होता है। इसका सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव शहरी क्षेत्र में पड़ता हैं, क्योंकि नालियों में गोबर बहाने के कारण नाले चोक हो जाते हैं। जिस कारण सरकारी संपत्ति को नुकसान होता है। गंदगी के कारण संक्रामक रोग फैलने का खतरा भी रहता है। परिचर्चा नालियों में गोबर बहाने के कारण जनकपुरी का बुरा हाल था, अब इस समस्या से निजात मिल रही है। नगर निगम द्वारा की गई पहल से लोगों की परेशानी कम हुई है। - मनपिदर सिंह कौर, पार्षद बयान नगर आयुक्त के निर्देश पर वार्ड संख्या 70 जनकपुरी और वार्ड संख्या 21 सीमांत विहार में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर डेयरियों से गोबर उठाना शुरू कर दिया गया है। - डॉ. मिथिलेश कुमार, नगर स्वास्थ्य अधिकारी।


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