सुंदर ने कहा था दशहरा नहीं देखने दूंगा साहब को, मार डालूंगा
आशुतोष गुप्ता गाजियाबाद कारोबारी अशोक जैदका का कर्मचारी सुंदर उनकी नवरात्र में हत्या क
आशुतोष गुप्ता, गाजियाबाद
कारोबारी अशोक जैदका का कर्मचारी सुंदर उनकी नवरात्र में हत्या करना चाहता था। उसने कई बार साजिश रची लेकिन कामयाब नहीं हो पाया। सुंदर ने अपने साथियों से कहा था कि दशहरा नहीं देखने दूंगा साहब को, मार डालूंगा। सुंदर मन ही मन में अशोक जैदका से इतनी घृणा करने लगा कि उसके मन में नफरत की आग जलने लगी।
वह अपनी पीड़ा लेकर रोहित नरूला के पास पहुंचा और बोला कि साहब मेरे साथ गलत हुआ है और मैं कोई गलत कदम उठा लूंगा। रोहित ने मौका भांप लिया और नफरत की आग बुझाने की बजाय उसमें घी डालने का काम किया। रोहित ने सुंदर को और भड़का दिया। उसने सुंदर से कहा कि कोई बात नहीं जो करना है वो करो। इसके साथ ही रोहित ने सुंदर के परिवार के पालन-पोषण और तीन बेटियों की शादी का वादा भी कर दिया। इस हत्याकांड के बारे में रोहित को पूरी जानकारी थी। साजिश के तहत सुंदर ने अतुल को ढाई माह पूर्व गांव से बुलाया और उसे पूरी बात बताई। सुंदर ने अतुल की शादी कराने का लालच दिया और हत्याकांड में उसे शामिल कर लिया। इसके साथ ही कबाड़ का काम करने वाले आजाद को भी सुंदर ने योजना बताई। आजाद भी इसमें शामिल हुआ और उसने साजिश रची कि हत्या के बाद वह कारोबारी पर अपने पैसे होने की बात कहकर उनकी बिल्डिंग का कबाड़ लेकर मोटी कीमत में बेच देगा।
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पार्क में पी शराब, फिर की हत्या सीओ सिटी द्वितीय अवनीश कुमार ने बताया कि दीवाली की रात तीनों कारोबारी के घर पहुंचे। वह पहले साढ़े आठ बजे घर में दाखिल हुए तो प्रथम तल पर रहने वाली महिला व उनके बच्चे पटाखे फोड़ रहे थे। आवाजाही देखकर वह सामने पार्क में चले गए और शराब पी। इसके बाद वह वापस लौटे और दरवाजा खटखटाया। अंदर से मधु जैदका ने पूछा तो सुंदर ने अपना नाम बताया। उन्होंने पुष्टि करने के लिए सुंदर के मोबाइल पर तीन बार फोन किए लेकिन सुंदर ने फोन नहीं उठाया। बाद में सुंदर की आवाज पहचानकर उन्होंने दरवाजा खोला तो सुंदर व अतुल ने कहा कि वह दीवाली पर आशीर्वाद लेने आए हैं और वारदात को अंजाम दे दिया।
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विवादित प्रापर्टी में पैरवी कर रहे थे अशोक जैदका सिहानी गेट थाना प्रभारी देवपाल सिंह पुंडीर ने बताया कि रोहित के पिता अशोक जैदका के करीबी मित्र थे। उनकी मौत के बाद रोहित अशोक का करीबी हो गया और वह उनके कारोबार का राजदार होने के साथ-साथ उनका कारोबार भी संभालने लगा था। रोहित के माध्यम से अशोक लोगों से मोटा लेनेदेन भी करते थे। रोहित के पिता की मौत के बाद उनकी प्रापर्टी के बंटवारे का विवाद शुरू हो गया। इस मामले में भी अशोक गवाह थे और वह रोहित के चाचाओं को भी हिस्सा देने की सिफारिश करते थे। इसको लेकर रोहित अशोक से नाराज रहने लगा था। इसके साथ ही रोहित अशोक के कालेधन का भी राजदार था और इसे नंबर एक में परिवर्तित करता था। रोहित पर अशोक के 61 लाख रुपये थे। रोहित ने सोचा कि अशोक की हत्या के बाद वह बंटवारे में पैरवी भी नहीं करेंगे और उसे पैसे भी नहीं लौटाने पड़ेंगे। यही सोचकर रोहित ने सुंदर को बल दिया।