बेटे के इंतजार में तीन दिन घर में रहा मां का शव
जिला अधिकारियों की लापरवाही के डासना जेल में बंद आजीवन कारावास काट रहे युवक को पैरोल न मिलने पर उसकी वृद्ध मां का शव तीन दिन तक घर पर रखा रहा। शव की स्थिति खराब होता देखकर कालोनी के लोगों ने परिजनों से कहकर शुक्रवार शाम उसका अंमित संस्कार करवाया। बेटे की गैर मौजूदगी में नाबालिग पौत्र ने वृद्ध महिला का अंतिम संस्कार किया।
संवाद सहयोगी, लोनी : जिला अधिकारियों की लापरवाही से डासना जेल में बंद आजीवन कारावास काट रहे युवक को पैरोल न मिलने पर उसकी वृद्ध मां का शव तीन दिन तक घर पर रखा रहा। शव की स्थिति खराब होता देखकर कालोनी के लोगों ने परिजनों से कहकर शुक्रवार शाम उसका अंतिम संस्कार करवाया। बेटे की गैरमौजूदगी में नाबालिग पौत्र ने वृद्ध महिला का अंतिम संस्कार किया।
मूल रूप से ग्राम पंजोखरा, जिला बागपत निवासी ओमपाल की पत्नी सरोज (65) पिछले करीब आठ साल से लोनी की खन्ना नगर में परिवार के साथ रहती थीं। ओमपाल की काफी समय पहले मौत हो चुकी है। उनके परिवार में बेटा राजीव बहू ममता, पौत्र पियूष, पौत्री कशिश और आकांशा हैं। परिजनों के मुताबिक, आठ अगस्त 2012 में उनके देवर सोमपाल की हत्या कर दी गई थी। हत्या के आरोप में उनके बेटे राजीव को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। करीब छह वर्ष से राजीव जेल में सजा काट रहा है। बेटे की गैरमौजूदगी में सरोज खन्ना नगर कॉलोनी स्थित तहसील के बाहर चाय की दुकान चलाकर परिवार का पालन पोषण करती थीं। एक सप्ताह पूर्व शुक्रवार रात वह मकान में छत पर सो रही थीं। अचानक वह बुखार की चपेट में आ गईं। दो दिन तक उनका इलाज चलता रहा। रविवार को उनकी शरद सिटी कॉलोनी निवासी बेटी गीता ने उनका निजी अस्पताल में इलाज कराया। बुधवार दोपहर करीब एक बजे उनकी बीमारी से मौत हो गई। आरोप है कि सरोज की मौत के बाद परिजनों ने उनका अंतिम संस्कार करने के लिए बेटे को पैरोल पर लाने की तैयारियां शुरू कर दीं। तीन दिन तक अधिकारियों के चक्कर काटने के बावजूद शुक्रवार शाम तक राजीव को पैरोल नहीं मिल सकी।
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पौत्र ने किया अंतिम संस्कार
तीन दिन तक शव का अंतिम संस्कार न होने से शव की स्थिति बिगड़ने लगी। इस पर कालोनी के लोगों ने मृतका के परिजनों को शव का अंतिम संस्कार करने की सलाह दी। लोगों के समझाने पर बुधवार शाम करीब सात बजे परिजनों ने पौत्र पियूष से सरोज का अंतिम संस्कार करवा दिया।
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क्या कहते हैं परिजन
सरोज की बेटी गीता और मंजू का आरोप है कि कोर्ट से राजीव को तीन दिन के पैरोल की अनुमति मिल चुकी थी। अधिकारियों की लापरवाही के कारण राजीव को पैरोल नहीं मिल सका। उन्होंने सरोज की तेरहवीं पर राजीव को पैरोल दिए जाने की मांग की है।