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बेहतर सफाई व्यवस्था और शहरियों के सहयोग से शहर को बनाएंगे स्मार्ट : महेंद्र सिंह तंवर

जीवन परिचय वर्ष 2015 बैच के आइएएस अफसर महेंद्र सिंह तंवर हरियाणा के रोहतक जिले के काह

By JagranEdited By: Published: Sun, 28 Feb 2021 06:01 PM (IST)Updated: Sun, 28 Feb 2021 06:01 PM (IST)
बेहतर सफाई व्यवस्था और शहरियों के सहयोग से शहर को बनाएंगे स्मार्ट : महेंद्र सिंह तंवर
बेहतर सफाई व्यवस्था और शहरियों के सहयोग से शहर को बनाएंगे स्मार्ट : महेंद्र सिंह तंवर

जीवन परिचय

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वर्ष 2015 बैच के आइएएस अफसर महेंद्र सिंह तंवर हरियाणा के रोहतक जिले के काहनौर गांव के रहने वाले हैं। उनके पिता ओमप्रकाश सिंह तंवर फौज में थे। मां गिदौड़ी देवी गृहणी हैं। परिवार में पत्नी प्रियंका और एक नवजात बेटी है। प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही राजकीय प्राथमिक एवं वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल तथा 9वीं से 12वीं की पढ़ाई बाल भवन स्कूल भिवानी से पूरी की। टीआइटी एंड एस कालेज से टेक्सटाइल इंजीनियरिग में बीटेक की पढ़ाई पूरी कर दो साल प्राइवेट सेक्टर में नौकरी की। करीबन तीन साल रक्षा मंत्रालय में भी कार्यरत रहे। इसके बाद सिविल सेवा परीक्षा 2013 पास कर भारतीय रेलवे ट्रैफिक सेवा ज्वाइन की तथा फिर 2014 में ही पुन: सिविल सेवा परीक्षा पास कर आइएएस हो गए। गाजियाबाद में बतौर नगर आयुक्त तैनाती से पहले वह शाहजहांपुर में मुख्य विकास अधिकारी और एटा में उप जिलाधिकारी के पद पर कार्यरत रह चुके हैं।

राज्य स्मार्ट सिटी की सूची में गाजियाबाद का नाम शामिल है। शहर को स्मार्ट बनाने के साथ ही स्वच्छ सर्वेक्षण-2020 में शहर की रैंकिग में आई गिरावट की वजह जानना और कमियों को सुधार कर स्वच्छ सर्वेक्षण-2021 में शहर की रैंकिग में सुधार करना भी चुनौती है। शहर में भूजल का स्तर गिरना और प्रदूषण का स्तर बढ़ना चिता का विषय है। इन मुद्दों पर नगर आयुक्त महेंद्र सिंह तंवर से दैनिक जागरण के अभिषेक सिंह ने विस्तार से बातचीत की। पेश है बातचीत के प्रमुख अंश.. शहर को स्मार्ट बनाने और गंदगी से निजात दिलाने के लिए क्या योजना है, स्वच्छ सर्वेक्षण-2021 में रैंकिग में सुधार कैसे होगा?

शहर को स्मार्ट बनाना नगर निगम के साथ ही जनता की जिम्मेदारी है। उनके सहयोग से ही शहर को स्मार्ट बनाया जाएगा। लोगों को सड़कों पर गंदगी न करने के लिए जागरूक किया जा रहा है। इसके साथ ही डलाव घर खत्म किए जा रहे हैं। कूड़ा उठाने के लिए गाड़ियां प्रत्येक घर तक पहुंचें, यह सुनिश्चित किया जाएगा। स्वच्छ सर्वेक्षण-2021 में शहर को देश के शीर्ष दस शहरों की सूची में शामिल कराने के लिए तैयारी की गई है। नगर निगम की ओर से शहर के सभी शौचालयों का जीर्णोद्धार कराया जा चुका है। उसमें जरूरी सुविधाएं भी उपलब्ध हैं। शौचालयों का सर्वे हो चुका है, सर्वे में गाजियाबाद के सार्वजनिक शौचालय साफ-सुथरे पाए गए हैं। शहर में सफाई व्यवस्था अच्छी होगी तो रैंकिग में भी सुधार भी होगा। दिल्ली-एनसीआर के साथ ही विशेष तौर पर गाजियाबाद में प्रदूषण बड़ी समस्या है, इस पर कैसे निजात मिलेगी?

प्रदूषण का स्तर कम करने के लिए नगर निगम द्वारा कई कार्य किए जा रहे हैं। सड़कों पर धूल न उड़े इसके लिए सफाई कर्मचारियों को थैले में धूल भरने की भी जिम्मेदारी दी गई है। लोग प्लास्टिक वेस्ट को न जलाएं, इसके लिए उनको जागरूक किया जा रहा है। प्लास्टिक वेस्ट का इस्तेमाल कर अलग-अलग उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं। जिसका इस्तेमाल शहर में सुंदरता को बढ़ाने के लिए किया जा रहा है।

सर्दी बीत गई है, गर्मी में पानी की किल्लत की समस्या होती है। भूजल का स्तर भी गिर रहा है, इस समस्या से निजात कैसे मिलेगी?

जिन स्थानों पर पानी की किल्लत होती है। उनके बारे में जानकारी कर पानी की आपूर्ति की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। वसुंधरा सहित अन्य स्थानों पर पाइपलाइन बिछाई गई है, जिससे की प्रत्येक घर तक पानी पहुंचे। मोहन नगर जोन में पानी की किल्लत की समस्या ज्यादा होती है, लेकिन इस बार गर्मी में वहां पर भी पानी की किल्लत न हो, यह सुनिश्चित किया जाएगा। भूजल का स्तर गिरना चिता का विषय है, जल की बर्बादी न हो इसके लिए लोगों को जागरूक किया जाएगा। भूजल स्तर को गिरने से बचाने के लिए तालाबों को कब्जामुक्त करवाकर उनका सुंदरीकरण भी करवाया जा रहा है।

नगर निगम में भ्रष्टाचार की शिकायत भी आती है, उस पर रोक लगाने के लिए क्या किया जाएगा?

अगर नगर निगम का कर्मचारी या अधिकारी किसी कार्य की एवज में रिश्वत मांगते हैं तो लोग विरोध करें और रिश्वत न दें। ऐसा करेंगे तो भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा। रिश्वत न देने पर अगर परेशान किया जा रहा हो तो उसकी शिकायत करें। संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। साक्ष्य मिलने पर भ्रष्टाचार के मामले में कार्रवाई की जाती है। आगे भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी। बंदरों और कुत्तों के कारण शहरियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। लोगों का कहना है कि शिकायत के बाद कार्यवाही नहीं होती? बंदर वन्य जीव प्राणी है। इसलिए बंदरों को पकड़ने का कार्य वन विभाग द्वारा कराया जाता है। नगर निगम इसके लिए खर्च देता है। खर्च देने के लिए नगर निगम तैयार है, इस संबंध में वन विभाग के अधिकारियों को पत्र भी लिखा जा चुका है। कुत्तों का बंध्याकरण पीएफए द्वारा कराया जाएगा। इसके लिए टेंडर हो चुका है, जल्द ही कार्य शुरू होगा। उम्मीद है कि बंदरों और कुत्तों के कारण होने वाली समस्या से जल्द ही लोगों को छुटकारा मिल जाएगा।


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