सेविले चरन तोहार हे छठी मैया, तोहरी महिमा अपार हे छठी मैया
.. सेविले चरन तोहार हे छठी मैया.. सेविले चरन तोहार हे छठी मैया.. सेविले चरन तोहार हे छठी मैया.. सेविले चरन तोहार हे छठी मैया
जागरण संवाददाता, साहिबाबाद : केलवा जे फरेला घवद से, ओह पर सुगा मंडराय। सेविले चरन तोहार हे छठी मैया, तोहरी महिमा अपार छठी मैया के कुछ ऐसे ही गीतों और आस्था भाव के साथ श्रद्धालुओं ने मंगलवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया। सोलह श्रृंगार में सजी महिलाओं ने माथे से लेकर नाक तक का लंबा ¨सदूर और पैरों में आलता लगाया। कलाइयों तक चूड़ियां पहनी और हाथों में सूप व टोकरा लेकर गीतों के साथ छठ मैया का आह्वान किया। डूबते सूरज को अर्घ्य देकर व्रतधारी महिलाओं और पुरुषों ने अपने परिवार की खुशहाली की कामना छठ मैया से की।
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हेलीकॉप्टर से हुई पुष्प वर्षा :
पूर्वांचल समाज की ओर से गाजियाबाद में पहली बार छठ महापर्व पर हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा कर हरनंदी मां का स्वागत किया गया। वहीं, छठ व्रतधारियों पर सांसद जनरल वीके ¨सह, महापौर आशा शर्मा और वार्ड-सौ के पार्षद संजय ¨सह ने पुष्प वर्षा की। संजय ¨सह का कहना है कि सभी के सार्थक प्रयास से गाजियाबाद के इतिहास में पहली बार छठ महापर्व पर हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा हो पाई है। पुष्प वर्षा के रोमांचक नजारे को वहां मौजूद श्रद्धालुओं ने अपने मोबाइल कैमरे में भी कैद किया।
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तीन लाख श्रद्धालुओं ने की पूजा : छठ महापर्व पर ट्रांस ¨हडन में तीन लाख से अधिक की संख्या में श्रद्धालुओं ने हरनंदी घाट पर अर्घ्य देने के साथ पूजन किया। हरनंदी के घाटों व सोसायटी पर मेले जैसा माहौल रहा जो लोग किसी कारण से नदी नहीं पहुंच सके उन्होंने अपने क्षेत्र में बनाए अस्थाई घाटों पर ही अर्घ्य दिया। हजारों लोगों ने इंदिरापुरम, वैशाली, वसुंधरा, कौशांबी, राजेंद्र नगर, शालीमार गार्डन, अर्थला, राजीव कालोनी, डीएलएफ कॉलोनी और खोड़ा कॉलोनी में बनाए गए छठ घाटों पर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया। पूर्वांचल एवं भोजपुरी समाज के लोगों ने हर्षोल्लास एवं पूर्ण आस्था भाव के साथ पर्व मनाया।
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दंडवत प्रणाम करते हुए पहुंचे श्रद्धालु : दंडवत प्रणाम करते हुए भी काफी संख्या में श्रद्धालु घाटों पर पहुंचे। लोगों की मनोकामना पूरी हुई थी, वो बैंड बाजे के साथ छठ घाटों पर पहुंचे और अर्घ्य दिया। छठ महापर्व के तीसरे दिन सूर्यास्त के समय डूबते सूरज को लोगों ने अर्घ्य दिया। मंगलवार को शाम पांच बजकर छत्तीस मिनट पर सूर्य अस्त होना शुरू हुआ और लोगों ने अर्घ्य भी इसी समय देना शुरू किया। सूर्य को अर्घ्य देने के लिए श्रद्धालु इतने उत्सुक थे कि उन्होंने समय से दो तीन घंटे पहले ही घाटों पर पहुंचना शुरू कर दिया। सूप में फल और पूजन सामग्री भरकर कंधे पर गन्ने और प्रसाद की टोकरी को लादे लोग अर्घ्य देने के लिए छठ मैया के गीत गाते जा रहे थे। चाहे बच्चे हों या बड़े या फिर महिलाएं, सभी में छठ पर्व का उत्साह देखते ही बन रहा था। महिलाओं ने घाट पर वेदी बनाकर पास में फलों की टोकरी रखकर मन में परिवार की सलामती की कामना की। घाट में श्रद्धालु तब तक खड़े रहे जब तक कि सूर्य आंखों से ओझल नहीं हो गए।