रजवाहों, माइनरों में नहीं छोड़ा गया पानी, गेहूं बुआई में होगी देरी
फोटो नं.- 23मोदी- 7 जागरण संवाददाता मोदीनगर मौसम की मार झेल रहे किसानों पर अफसरी क
फोटो नं.- 23मोदी- 7 जागरण संवाददाता, मोदीनगर:
मौसम की मार झेल रहे किसानों पर अफसरी का उदासीन रवैया भी भारी पड़ रहा है। अभी तक रजवाहों, माइनरों में पानी नहीं छोड़ा गया है। जबकि, गेहूं की बुआई 15 नवंबर से शुरू हो जाती है। यदि अब भी पानी छोड़ा जाता है तो पलेवा करने के बाद खेत अगले दो सप्ताह में बुआई के लिए तैयार होंगे। ऐसे में किसानों की चिता बढ़नी लाजिमी है। इस बार मौसम का रवैया किसानों के लिए प्रतिकूल रहा है। अक्टूबर माह के अंत तक बारिश होती रही, जिससे धान की फसल को भारी नुकसान हुआ। कई किसानों की फसलें तो खेत में ही गल गईं। उनकी लागत भी वापस नहीं आई। ऐसा ही ईख की फसलों के साथ हुआ। मुरादनगर, पतला, निवाड़ी क्षेत्र में तीन हजार बीघा से ज्यादा रकबे में आज भी पानी भरा हुआ है,जिससे गन्ने की छिलाई का काम शुरू नहीं हो पाया। इसी के चलते मिल चलने में भी इस बार दो सप्ताह देरी हो गई। दीपावली के बाद मिल चला तो किसान जल्दी जल्दी गन्ने की छिलाई कर खेत खाली करने के प्रयास में हैं। ताकि गेहूं की बुआई कर सकें। ऐसे ही धान, ज्वार, मक्का, बाजारा की कटाई के बाद जिन किसानों के खेत खाली हो गए हैं, वे पलेवा करने के लिए रजवाहों, माइनरों में पानी आने का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन अभी तक भी रजवाहों, माइनरों में पानी नहीं छोड़ा गया है। खास बात यह रही कि इस बार रजवाहों, माइनरों की सफाई का काम भी देरी से शुरू कराया गया। कई रजवाहों, माइनरों की सफाई का काम अभी तक चल रहा है। ऐसे में किसानों की चिता बढ़ रही है। कांग्रेस किसान विभाग के राष्ट्रीय सचिव जोगेश नेहरा कहते हैं कि किसानों की सरकार को परवाह नहीं है। यदि इस वक्त रजवाहों में पानी छोड़ा जाए तो पलेवा करने के बाद अगले दो सप्ताह में खेत बुआई के लिए तैयार होंगे। किसान वैसे ही मौसम की मार झेल रहा है। ऊपर से सिस्टम का उदासीन रवैया किसानों को बर्बादी की तरफ ले जा रहा है। जबकि, गेहूं की बुआई 15 नवंबर से शुरू हो जाती है। यह वक्त बुआई के हिसाब से सबसे उपयुक्त है। इस बारे में एसडीएम शुभांगी शुक्ला का कहना है कि सिचाई विभाग के अधिकारियों से इस बारे में बात की गई है। जल्द ही पानी छोड़ा जाएगा।