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बढ़ते तापमान ने किसानों केचेहरे पर खींची चिता की लकीरें

जागरण संवाददाता मोदीनगर समय से पहले आई गर्मी न सिर्फ आम जनमानस को पसीना पसीना कर रही ह

By JagranEdited By: Published: Sun, 28 Feb 2021 06:51 PM (IST)Updated: Sun, 28 Feb 2021 06:51 PM (IST)
बढ़ते तापमान ने किसानों केचेहरे पर खींची चिता की लकीरें
बढ़ते तापमान ने किसानों केचेहरे पर खींची चिता की लकीरें

जागरण संवाददाता, मोदीनगर:

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समय से पहले आई गर्मी न सिर्फ आम जनमानस को पसीना पसीना कर रही है। बल्कि किसानों के लिए भी यह चिता का कारण बनी हुई है। फरवरी में जिस तरह से तापमान लगातार बढ़ा, उससे गेहूं का विकास थम गया है। कृषि क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि ऐसे ही तापमान बना रहा तो निश्चित ही गेहूं का उत्पादन 15 से 20 फीसद प्रभावित होगा। पछेती फसल में नुकसान का आंकड़ा और ज्यादा बढ़ने के पूरे आसार बने हुए हैं।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ज्यादातर किसान ईख की अगेती फसल को काटकर उसमें गेहूं की बुआई करते हैं। हापुड़, बुलंदशहर में आलू की खोदाई कर किसान गेहूं बोते हैं। कई बार मौसम की प्रतिकूलता और अन्य कारणों से खेत खाली होने में देरी हो जाती है। ऐसे में वे दिसंबर के अंत तक भी बुआई करते हैं। जबकि, गेहूं की बुआई का सही समय नवंबर अंत तक होता है। जिस हिसाब से दिसंबर और जनवरी में सर्दी और पाला पड़ा। उससे गेहूं का विकास शुरू में अच्छा रहा। लेकिन फरवरी आते-आते मौसम ने करवट बदल ली और समय से पहले की गर्मी का एहसास हो गया। पिछले दो सप्ताह से दिन का तापमान 30 के भी पार पहुंच रहा है। जिससे गेहूं का विकास अचानक से थम गया है। जबकि अभी तक अधिकांश फसल में बाली बाहर नहीं आई है। जैसे जैसे समय बीतेगा, समय से पहले ही बाली पौधे से बाहर आ जाएगी और गेहूं का दाना जीरा रह जाएगा। जिसमें भूसा ज्यादा होगा और गेहूं का प्रतिशत घट जाएगा। कृषि क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि गेहूं के बेहतर विकास के लिए इस समय 20-25 डिग्री सेल्सियस के बीच का तापमान अच्छा है। रात्रि में भी 10 डिग्री के आसपास ही तापमान रहना उचित है। -इनका कहना है:

जिस तरह से मौसम गर्म हो गया है। उससे गेहूं का उत्पादन निश्चित ही प्रभावित होगा। 15 से 20 फीसद उत्पादन प्रभावित होने के पूरे पूरे आसार है। जिन किसानों ने जनवरी में फसल बोई है। उनका नुकसान और ज्यादा होगा।

-डा. अरविद यादव, प्रभारी कृषि विज्ञान केंद्र मुरादनगर एवं वरिष्ठ कृषि विज्ञानी।

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फसलों का भविष्य मौसम तय करता है। मौसम अनुकूल हो तो बेहतर वरना मौसम की निगाह जरा सी टेढ़ी हुई तो किसान बर्बाद है। जिस तरह से इस बार समय से पहले ही गर्मी आ गई है, उससे गेहूं को नुकसान है। किसानों का उत्पादन इसमें निश्चित ही प्रभावित होगा। भगवान ही इसमें कोई चमत्कार कर सकता है।

-पुष्पेंद्र चौधरी, रावली


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