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रिपीट: शहर में जल संकट, हरनंदी में प्रदूषण की वजह से बदतर हो रहे हालात

जासं गाजियाबाद सहारनपुर से मुजफ्फरनगर मेरठ गाजियाबाद और नोएडा होते हुए दिल्ली में यम

By JagranEdited By: Published: Sat, 17 Jul 2021 10:08 PM (IST)Updated: Sat, 17 Jul 2021 10:08 PM (IST)
रिपीट: शहर में जल संकट, हरनंदी में प्रदूषण की वजह से बदतर हो रहे हालात
रिपीट: शहर में जल संकट, हरनंदी में प्रदूषण की वजह से बदतर हो रहे हालात

जासं, गाजियाबाद: सहारनपुर से मुजफ्फरनगर, मेरठ, गाजियाबाद और नोएडा होते हुए दिल्ली में यमुना नदी तक जाने वाली हरनंदी नदी का अस्तित्व खतरे में होने के कारण शहर में जल संकट की स्थिति उत्पन्न हो रही है। जल्द ही हरनंदी को प्रदूषित होने से नहीं रोका गया तो इसके किनारे रेनीवेल भी नहीं बन सकेंगे। जिले में भू-जल दोहन पर रोक लगाई गई है। नलकूपों से पानी की आपूर्ति करने के कारण भी भूजल स्तर गिर रहा है। ऐसे में लोगों को पेयजल आपूर्ति के लिए रेनीवेल ही सबसे उपयुक्त साधन हैं, लेकिन नदी में प्रदूषण का बढ़ता स्तर रेनीवेल बनाने में बाधक बनने की कगार पर पहुंच गया है। यही हाल रहा तो आने वाले कुछ सालों में ही शहर के लोग पीने के पानी को लेकर भी तरसेंगे। 40 मीटर तक ही है सीमा: पहले नदी किनारे 28 मीटर की गहराई पर ही रेनीवेल बनाकर पेयजल आपूर्ति की जाती रही है। रेनीवेल की अधिकतम गहराई 40 मीटर तक हो सकती है। वर्तमान में प्रदूषण के कारण ही मोहन नगर में जलापूर्ति के लिए जल निगम को हरनंदी नदी किनारे बनाए जा रहे छह रेनीवेल की गहराई 38 मीटर करनी पड़ी है। गहराई ज्यादा होने के कारण रेनीवेल बनाने में आने वाली लागत भी बढ़ रही है। मनाही के बावजूद प्रदूषित पानी डाला जा रहा:

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हरनंदी नदी को प्रदूषणमुक्त बनाने के लिए नदी में शोधित पानी ही डालने की अनुमति है लेकिन मनाही के बावजूद नदी में फैक्ट्रियों से निकलने वाले प्रदूषित पानी और नालों का पानी हरनंदी नदी में सीधे डाला जाता है। इसे रोकने के लिए कोई ठोस कार्रवाई भी नहीं की जाती है। जिस कारण नदी में प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। पहले ही पानी की आपूर्ति कम: वर्तमान में ही शहर में पानी की आपूर्ति मांग के सापेक्ष 78 एमएलडी कम हो रही है। पेयजल आपूर्ति के लिए 900 से अधिक नलकूप हैं। वसुंधरा जोन में गंगा जल की आपूर्ति होती है। बयान हरनंदी नदी में प्रदूषण बढ़ा है। इस कारण ही 38 मीटर गहराई पर रेनीवेल बनाने पड़े हैं। हरनंदी नदी में प्रदूषण को रोकना जरूरी है, जिससे कि शहर में निर्बाध रूप से पेयजल आपूर्ति की जा सके।

- मो. ताहिर, अधिशासी अभियंता, जल निगम।


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