चिकित्सक दंपती ने जलाया दीपक, अब 103 बच्चों को नई सुबह का इंतजार
जिले के छह बालगृहों में अपने माता-पिता से जुदा हुए 103 बच्चे रह रहे हैं। ये बच्चे उत्तर प्रदेश उत्तराखंड बिहार सहित अलग अलग प्रदेश के हैं। बच्चों का बचपन चारदीवारी में कैद होकर रह गया है। बच्चे आम बच्चों की तरह रोजाना बालगृह से बाहर निकलकर खेलकूद नहीं सकते हैं।
अभिषेक सिंह, गाजियाबाद : जिले के छह बालगृहों में अपने माता-पिता से जुदा हुए 103 बच्चे रह रहे हैं। ये बच्चे उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार सहित अलग अलग प्रदेश के हैं। बच्चों का बचपन चारदीवारी में कैद होकर रह गया है। बच्चे आम बच्चों की तरह रोजाना बालगृह से बाहर निकलकर खेलकूद नहीं सकते हैं। बच्चों को अगर पालन-पोषण देखभाल (फोस्टर केयर) के लिए 103 परिवार अपने साथ रख लें तो वे चारदीवारी की कैद से आजाद हो सकते हैं। इंदिरापुरम के एक चिकित्सक दंपती ने झाड़ियों में मिली एक दिन की बच्ची को अपने साथ रखकर यह उम्मीद का दीपक जलाया है। अन्य बच्चे भी इसी प्रकार की नई सुबह का इंतजार कर रहे हैं। बाक्स..
ये दंपती पालन पोषण के लिए बच्चों को रख सकते हैं अपने साथ -कोई भी भारतीय नागरिक जो दो साल से उत्तर प्रदेश में निवासरत है, बच्चे को पालन-पोषण देखभाल में लेने के लिए पात्र होगा। -वैवाहिक दंपती के मध्य न्यूनतम दो साल का वैवाहिक संबंध होना जरूरी है। -कोई भी माता-पिता अपनी स्वयं की संतान या उनके नहीं होने की स्थिति में भी बच्चों की परवरिश का जिम्मा उठा सकेगा। चार संतानों से ज्यादा की स्थिति में माता-पिता पात्रता के लिए अयोग्य माने जाएंगे। -पालन-पोषण, देखभाल के लिए भावी माता-पिता एवं एकल माता या पिता में से प्रत्येक की न्यूनतम आयु 35 वर्ष तथा अधिकतम आयु 55 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। -भावी पोषक माता-पिता की संयुक्त आयु 110 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। इसमें प्रत्येक की अधिकतम आयु 55 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। -यदि पालन-पोषण, देखभाल के लिए केवल पुरुष आवेदन करता है तो वह बालिका को पालन-पोषण, देखभाल में नहीं ले सकेगा। -भावी पोषक माता-पिता का कोई आपराधिक प्रकरण न्यायालय में लंबित नहीं होना चाहिए। इस संबंध में संबंधित पुलिस थाने से पुलिस सत्यापन होना आवश्यक है।
यहां रह रहे हैं बच्चे बालगृह स्थान बच्चों की संख्या उदय ओपन शेल्टर होम - गांधी नगर 19 लाल बहादुर शास्त्री ओपन शेल्टर होम वसुंधरा 16 उड्डयन केयर बालिका गृह सूर्यनगर 14
ग्रेस केयर बालिका गृह वसुंधरा 28 घरौंदा बालगृह गोविदपुरम 24 विशेषीकृत दत्तक ग्रहण इकाई गोविदपुरम 2 दंपती ने जलाया है उम्मीद का दीपक: जिला प्रोबेशन अधिकारी विकास चंद्र ने बताया कि नींति खंड में चार साल पहले एक दिन की एक बच्ची झाड़ियों में मिली थी। वह चोटिल थी। आसपास के लोगों ने उसे उपचार के लिए नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया। वहां चिकित्सक दंपती ने बच्ची का उपचार किया और उसकी देखभाल की जिम्मेदारी खुद उठाने का निर्णय लिया। चिकित्सक दंपती के पास बच्ची खुश है। वह आम बच्चों की तरह जीवन जी रही है। इस तरह से अगर अन्य लोग भी बच्चों की देखभाल का जिम्मा उठाएंगे तो बच्चों को मदद मिलेगी। वर्जन.. किशोर न्याय अधिनियम-2016 की धारा 44 एवं किशोर न्याय नियम 2016 के नियम 23 के तहत पारिवारिक देखभाल उपलब्ध कराने के लिए पालन-पोषण देखभाल कार्यक्रम संचालित किया जाता है। इसके तहत अपने माता-पिता से जुदा हुए बच्चों को पालन पोषण के लिए सक्षम दंपती अपने साथ रख सकते हैं। इसके लिए बाल कल्याण समिति से संपर्क कर सकते हैं।
- विकास चंद्र, जिला प्रोबेशन अधिकारी।