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हटाई जाएंगी रैपिड रेल प्रोजेक्ट में बाधा बन रही 80 दुकानें

जागरण संवाददाता गाजियाबाद रैपिड रेल प्रोजेक्ट में दिल्ली-मेरठ रोड पर दुहाई के आसपास

By JagranEdited By: Published: Tue, 29 Jun 2021 08:26 PM (IST)Updated: Tue, 29 Jun 2021 08:26 PM (IST)
हटाई जाएंगी रैपिड रेल प्रोजेक्ट में बाधा बन रही 80 दुकानें
हटाई जाएंगी रैपिड रेल प्रोजेक्ट में बाधा बन रही 80 दुकानें

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद :

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रैपिड रेल प्रोजेक्ट में दिल्ली-मेरठ रोड पर दुहाई के आसपास 80 दुकानें बाधा बन रही हैं। इन दुकानों को हटाने के लिए जीडीए ने कवायद शुरू कर दी है। इसी सिलसिले में जीडीए के प्रवर्तन दस्ते ने मौके पर निरीक्षण किया। मौके पर पाया गया कृषि भू-उपयोग की जमीन पर लोग अवैध निर्माण कर व्यावसायिक गतिविधियों का संचालन कर रहे हैं।

जीडीए ओएसडी संजय कुमार ने बताया कि दुहाई के आसपास रैपिड रेल प्रोजेक्ट में 80 दुकानें बाधा बन रही हैं। इसमें अलावा मुरादनगर महायोजना-2021 के तहत दिल्ली-मेरठ रोड 60 मीटर चौड़ा होना प्रस्तावित है। सड़क के मध्य से दोनों तरफ 30-30 मीटर सड़क चौड़ी होनी है। इस तरह यह दुकानें रैपिड रेल व चौड़ीकरण दोनों में बाधा हैं।

मामला संज्ञान में आने पर वरिष्ठ अफसरों के निर्देश पर सहायक अभियंता आरके सिंह के नेतृत्व में प्रवर्तन टीम मौके का निरीक्षण करने के लिए गई। जांच के दौरान भू-उपयोग के विपरीत व्यावसायिक गतिविधियों का संचालन पाया गया। लोगों से निर्माण की स्वीकृति के दस्तावेज मांगे गए तो वह नहीं दिखा पाए। मामले में बृजेश शर्मा, अर्पित अग्रवाल, जयप्रकाश शर्मा, कृष्णा भट्टा, विनोद मेहरा, अमित चौधरी, अजय चौधरी, अमरपाल, मजमूल, सागर यादव, प्रदीप कुमार, सतपाल चौधरी, शिवशंकर शर्मा कुल 13 लोगों को नोटिस जारी कर दिया गया है। नोटिस में इन सभी लोगों को एक सप्ताह के भीतर निर्माण की स्वीकृति के दस्तावेज पेश करने के लिए कहा गया है। चेतावनी दी गई है कि तय समयावधि में नोटिस का जवाब न देने व दस्तावेज पेश न करने पर उपरोक्त लोगों के निर्माण को अवैध मानकर ध्वस्त किया जाएगा। इस तरह भू-उपयोग के विपरीत गतिविधियां संचालित करने वाले अन्य लोगों को भी जल्द ही नोटिस जारी किया जाएगा।

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- ज्यादा मुआवजे को लेकर है विवाद - रैपिड रेल प्रोजेक्ट के तहत दुहाई में प्रस्तावित स्टेशन के पास अन्य निर्माण में किया जाना है जिसमें 80 दुकानें बाधा बनी हुई हैं। नए अधिग्रहण कानून के तहत प्रशासन इन्हें सर्किल रेट का दोगुना मुआवजा देकर जमीन लेने को तैयार है, लेकिन यह लोग उक्त जमीन को व्यावसायिक भू-उपयोग की बताकर सर्किल रेट का चार गुना मुआवजा मांग रहे हैं। इसी को लेकर विवाद है जबकि सरकारी दस्तावेजों में उक्त जमीन का भू-उपयोग कृषि है। उपरोक्त लोग अवैध रूप से दुकान बनाकर भू-उपयोग के विपरीत गतिविधि संचालित कर रहे हैं।


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