प्रधानमंत्री आवास योजना में देरी पर शासन गंभीर, मांगी रिपोर्ट
जागरण संवाददाता गाजियाबाद प्रधानमंत्री आवास योजना में हो रही लेटलतीफी पर शासन गंभीर है। प्रमुख सचिव आवास दीपक कुमार ने मेरठ मंडलायुक्त सुरेंद्र सिंह समेत प्रदेश के सभी मंडलायुक्तों को पत्र भेजकर पीएम आवास योजना में आ रही बाधा दूर करने को रिपोर्ट तलब की है।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : प्रधानमंत्री आवास योजना में हो रही लेटलतीफी पर शासन गंभीर है। प्रमुख सचिव आवास दीपक कुमार ने मेरठ मंडलायुक्त सुरेंद्र सिंह समेत प्रदेश के सभी मंडलायुक्तों को पत्र भेजकर पीएम आवास योजना में आ रही बाधा दूर करने को रिपोर्ट तलब की है। मेरठ मंडलायुक्त ने गाजियाबाद विकास प्राधिकरण समेत उनके अधिकार क्षेत्र में आने वाले अन्य प्राधिकरणों से रिपोर्ट मांगी है कि प्रधानमंत्री आवास योजना पूरी करने में कहां-कहां और किन-किन विभागों का तालमेल न होने से दिक्कत आ रही है। इसके पीछे शासन की मंशा उच्चस्तर पर बैठक कर विभागों के बीच तालमेल बैठाकर समस्या का हल कराकर योजना को पूरा कराने की है। मंडलायुक्त के निर्देश पर जीडीए अधिकारी रिपोर्ट तैयार करने में जुट गए हैं। डूडा द्वारा सत्यापन में की जा रही है देरी: प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आए आवेदकों का सत्यापन करने में डूडा द्वारा लेटलतीफी की जा रही है। इस कारण जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना के पात्र आवंटियों को आवास का आवंटन नहीं हो पा रहा है। मामले में जीडीए सचिव द्वारा डूडा को कई बार पत्र भेजे गए, लेकिन कोई उचित जवाब नहीं आया। इसके बाद जीडीए सचिव बृजेश कुमार ने प्रमुख सचिव आवास को भी इस संबंध में पत्र भेजा था। वर्तमान में जिले में तीन योजनाओं में 1728 आवास के लिए आए करीब 4200 आवेदकों के दस्तावेज डूडा के स्तर पर सत्यापन के लिए लंबित है। बैठक में नहीं आते वरिष्ठ अधिकारी : प्रधानमंत्री आवास योजना के आवेदकों का सत्यापन जल्द कराने को जीडीए द्वारा कई बार बैठक बुलाई जा चुकी है। अभी कुछ दिन पूर्व भी बैठक बुलाई गई थी, लेकिन डूडा के वरिष्ठ अधिकारी बैठक में शामिल नहीं होते। कनिष्ठ अधिकारियों को बैठक में भेज दिया जाता है। इससे समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है। यह है प्रक्रिया : प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत योजना जीडीए लांच करता है। आनलाइन आवेदन के साथ संलग्न दस्तावेजों की जांच जीडीए द्वारा डूडा से कराई जाती है। आवेदकों के दस्तावेज सही हैं या नहीं, पर्याप्त हैं या नहीं, यह जांचने के बाद पात्रों की सूची डूडा जीडीए को सौंपता है। इसी सूची के आधार पर जीडीए द्वारा गठित समिति की मौजूदगी में ड्रा कराकर भवनों का आवंटन होता है।