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मासूमों चेहरों पर मुस्कान के लिए फिर चाहिए 'आपरेशन स्माइल'

जिस आपरेशन स्माइल ने पूरे देश में गाजियाबाद का नाम रोशन किया उस आपरेशन ने अब दम तोड़ दिया है। यही वजह है कि हर सड़क पर दर्जनों बच्चे भीख मांगते हुए दिख जाएंगे। इनमें से कुछ बच्चों बाहर के हैं तो कई को अपने परिवार का नहीं पता। सितंबर 2014 में लापता बच्चों की तलाश के लिए तत्कालीन एसएसपी धर्मेंद्र सिंह ने ऑपरेशन स्माइल शुरू किया था। 3

By JagranEdited By: Published: Sun, 31 May 2020 07:52 PM (IST)Updated: Sun, 31 May 2020 07:52 PM (IST)
मासूमों चेहरों पर मुस्कान के लिए फिर चाहिए 'आपरेशन स्माइल'
मासूमों चेहरों पर मुस्कान के लिए फिर चाहिए 'आपरेशन स्माइल'

जासं, गाजियाबाद : जिस 'आपरेशन स्माइल' ने पूरे देश में गाजियाबाद का नाम रोशन किया, उस आपरेशन ने अब दम तोड़ दिया है। यही वजह है कि हर सड़क पर दर्जनों बच्चे भीख मांगते हुए दिख जाएंगे। इनमें से कुछ बच्चों बाहर के हैं तो कई को अपने परिवार का नहीं पता। सितंबर 2014 में लापता बच्चों की तलाश के लिए तत्कालीन एसएसपी धर्मेंद्र सिंह ने ऑपरेशन स्माइल शुरू किया था। 38 टीमों ने 45 दिन तक देश भर में अभियान चलाकर 224 लापता बच्चों को तलाशा था। ये बच्चे भीख मांगने, घरेलू काम और फैक्ट्रियों में लगे हुए थे। अगले दो सालों में इस अभियान के तहत क्रमश: 354 और 400 बच्चों को खोजा गया था। मगर बीते तीन साल से यह अभियान जिले में बंद है। इसकी वजह है कि बाद में आए एसएसपी ने रुचि नहीं दिखाई और इसके लिए जिम्मेदार जिला प्रोबेशन विभाग व श्रम विभाग अन्य विभागों ने भी सहयोग नहीं किया। मगर सड़क पर घूम रहे हजारों बच्चों के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए फिर से आपरेशन स्माइल की जरूरत है। साल भर में सिर्फ 17 बच्चे रेस्क्यू किए

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बच्चों के लिए काम करने वाली चाइल्ड लाइन (1098) के कोआर्डिनेटर संजय ने बताया कि अप्रैल-2019 से मार्च-2020 तक गाजियाबाद में 17 बच्चे अलग-अलग जगहों से रेस्क्यू किए गए हैं। वहीं गाजियाबाद में हजारों की संख्या में आज भी बच्चे सड़क पर भीख मांगते हुए देखे जा सकते है। हर चौराहे व ट्रैफिक सिग्नल पर दर्जनों बच्चे गाड़ी के शीशे साफ करते हुए या कुछ बेचते हुए भी मिल जाते हैं। मगर इन बच्चों को रेस्क्यू नहीं किया जा रहा। इसके पीछे एक वजह यह भी है कि जिला प्रोबेशन विभाग की देखरेख में गाजियाबाद में चल रहे पांच चाइल्ड केयर होम में सिर्फ 137 बच्चों के रहने की ही व्यवस्था है और फिलहाल सभी फुल हैं।

प्रमुख मामले

- अगस्त-2019 इंदिरापुरम से अगवा दो साल की बच्ची को छत्तीसगढ़ से बरामद किया।

- अक्टूबर- 2018 में इंदिरापुरम के न्याय खंड-2 में एक फ्लैट से 28 नेपाली लड़कियां बरामद हुई थीं, जिनमें अधिकांश नाबालिग भी शामिल थीं।

- मार्च- 2018 में लोनी की 10 साल की बच्ची बरामद हुई, जिसे सौतेली मां ने पांच बार बेचा था।

हर साल बढ़ रहा गुमशुदा बच्चों

साल गुमशुदा मिले शेष

2018 101 92 09

2019 102 90 12

नोट( 2019 के आंकड़े 01 जनवरी से 25 अगस्त तक के हैं)

चाइल्ड लेबर में लगे बच्चों की संबंधित विभाग द्वारा सूचना दिए जाने पर उसे छुड़ाया जाता है। कई बार पुलिस भी संबंधित विभागों को सूचना देती है। इसके अलावा लापता बच्चों की बरामदगी प्राथमिकता पर रहती है।

- कलानिधि नैथानी, एसएसपी।


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