वन चेतना केंद्र में अब मोर की आवाज नहीं, शराबियों का शोर
हसीन शाह गाजियाबाद जिला मुख्यालय से 10.9 किलोमीटर की दूरी पर मसूरी में गंगनहर के किना
हसीन शाह, गाजियाबाद: जिला मुख्यालय से 10.9 किलोमीटर की दूरी पर मसूरी में गंगनहर के किनारे बनाया गया वन चेतना केंद्र अब शराबियों का ठिकाना बन गया है। अनदेखी का आलम यह है कि यहां किसी ने धान की मशीन भी लगा दी है। साल 1993 में वन्य जीवों के प्रति चेतना पैदा करने के लिए यह केंद्र बनाया गया था। यह दिल्ली एनसीआर के लिए एक पिकनिक स्पाट था।
वन चेतना केंद्र में वन्य जीवों को रखने की खास व्यवस्था की गई थी। इसमें हिरन सहित कई तरह के पक्षी रहते थे। मोरों की संख्या अधिक थी। इसमें शौचालय, रसोई व एक बड़ा कक्ष बनाया गया है। इसमें एक मीटिंग हाल व अधिकारियों और कर्मचारियों के आवास बने हुए हैं। यहां पर आम लोगों के लिए एक कैंटीन भी बनाई गई है। गंगनहर के किनारे होने के कारण इसकी खूबसूरती में चार चांद लग जाते थे। वन चेतना केंद्र की स्थापना का मकसद वनों की सुरक्षा के प्रति आम लोगों को जागरूक करना था। जिससे समय-समय पर गोष्ठी सेमिनार के माध्यम से वन्य जीवों के प्रति चेतना पैदाकर वन संपत्तियों के दोहन को रोका जा सके। मगर वन विभाग की अनदेखी ने इसे जर्जर बना दिया। इसके दरवाजों व खिड़कियां भी चोरी हो गई हैं। दीवारों की ईट तक चोरी कर ली गई हैं। जब यह बनाया गया था तो वन विभाग ने इसकी देखरेख के लिए संविदा पर एक कर्मचारी रखा था। तीन साल पहले उसकी मौत होने के बाद से उनका बेटा इरफान इसकी देखरेख करते हैं। उन्हें वन विभाग की तरफ से कोई तनख्वाह नहीं दी जाती है। बस उसे यहां रहने के लिए मुफ्त में कमरा मिला हुआ है।
कुछ लोगों ने कर रखा है कब्जा: साल 1993 में यहां पर दिल्ली व गाजियाबाद सहित अन्य जिलों से लोग घूमने के लिए आते थे। लेकिन जब से वन विभाग ने इससे अपनी नजर हटाई है, तब से कुछ लोगों ने अतिक्रमण कर इस पर कब्जा कर लिया है। एक व्यक्ति ने तो यहां पर धान की मशीन लगा दी है। वह चेतना केंद्र को गोदाम के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। शाम होते ही यहां शराबियों का कब्जा हो जाता है। वन चेतना केंद्र को फिर संवारा जाना चाहिए। यह कभी मसूरी की पहचान हुआ करता था। मगर अब यह शराबखाना बनकर रह गया है।
-नजर मोहम्मद, ग्रामीण वन चेतना केंद्र जर्जर हो चुका है। इसको फिर से पिकनिक स्पाट के तौर पर बनाया जाना चाहिए। यहां दिल्ली तक के लोग घूमने के लिए आएंगे।
-आमिर अली, ग्रामीण