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किसान आंदोलन : इलाज मिला न नौकरी बची, अब पछता रहीं आंदोलन में आई महिलाएं

जासं गाजियाबाद यूपीगेट पर भीड़ बढ़ाने के लिए लोगों को लालच दिया गया। ऐसे ही एक व्यक्ति द्वार

By JagranEdited By: Published: Sat, 19 Dec 2020 07:47 PM (IST)Updated: Sat, 19 Dec 2020 07:47 PM (IST)
किसान आंदोलन : इलाज मिला न नौकरी बची, अब पछता रहीं आंदोलन में आई महिलाएं
किसान आंदोलन : इलाज मिला न नौकरी बची, अब पछता रहीं आंदोलन में आई महिलाएं

जासं, गाजियाबाद: यूपीगेट पर भीड़ बढ़ाने के लिए लोगों को लालच दिया गया। ऐसे ही एक व्यक्ति द्वारा दिए गए लालच में फंसी बरेली के फरीदपुर में रहने वाली महिलाओं को अब पछतावा हो रहा है। उनको अब ऐसे व्यक्ति की तलाश है जो सकुशल उन्हें घर पहुंचा दे।

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शनिवार दोपहर को यूपी गेट पर जहां एक तरफ किसान आंदोलन जारी रहा तो दूसरी तरफ तीन महिलाएं वीनू, सुनीता और पप्पी उस व्यक्ति को कोसते हुए नजर आई, जो उन तीनों समेत 15 लोगों को बरेली के फरीदपुर से यूपीगेट लेकर आया। महिलाएं कह रही थीं कि इससे अच्छा तो फरीदपुर में ही थे। सरकार ने रहने के लिए घर दिया है। महीने में दो बार सरकार की ओर से राशन मिल जाता है। आराम से वहां पर फैक्टरी में नौकरी कर रहे थे। इलाज की व्यवस्था और रुपये मिलने का लालच मिला तो यहां आ गए लेकिन अब कोई खैर खबर लेने वाला नहीं है। सर्दी में ठिठुरने के लिए मजबूर हैं। रात को न तो कंबल ही मिल पाया न हो दोपहर में बांटे जाने वाले गर्म कपड़े ही मिले। पप्पी ने बताया कि उनको पथरी हो गई थी, हाल ही में आपरेशन करवाया है। शरीर में खून की कमी हो गई है। इलाज की जरूरत है। सुनीता ने बताया कि एक हादसे में उनके शरीर का कुछ हिस्सा जल गया था, जिस वजह से परेशान हैं। वीनू ने बताया कि उनके पति के हाथ में फ्रैक्चर हो गया है, वह कई दिन से चारपाई पर पड़े हैं। तीनों को इलाज में मदद कराने और रुपये देने का लालच दिया गया था। लालच में आकर तीनों बरेली से किसान आंदोलन में शामिल होने चली आई, जबकि इस आंदोलन से उनका कोई लेना-देना नहीं है। वह व्यक्ति भी कोई मदद नहीं कर रहा जो उनको यहां लेकर आया है। अब वह तीनों वापस बरेली लौटना चाहती हैं। जिससे कि घर पर सुकून से रहें और नौकरी कर सकें।


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