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निजी विद्यालयों में आरक्षित सीटों पर दाखिले से कोई बच्चा नहीं रहेगा वंचित

मूल रूप से गोरखपुर के रहने वाले बेसिक शिक्षा अधिकारी बृजभूषण चौधरी एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनकी माता मनोरमा चौधरी गृहणी और पिता विशंभर नाथ चौधरी यूपी इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड में कार्यरत थे। उनकी माध्यमिक शिक्षा लखनऊ और स्नातक और परस्नातक की शिक्षा इलाहाबाद से हुई।

By JagranEdited By: Published: Sun, 07 Jun 2020 07:57 PM (IST)Updated: Sun, 07 Jun 2020 07:57 PM (IST)
निजी विद्यालयों में आरक्षित सीटों पर दाखिले से कोई बच्चा नहीं रहेगा वंचित
निजी विद्यालयों में आरक्षित सीटों पर दाखिले से कोई बच्चा नहीं रहेगा वंचित

परिचय

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मूल रूप से गोरखपुर के रहने वाले बेसिक शिक्षा अधिकारी बृजभूषण चौधरी एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनकी माता मनोरमा चौधरी गृहणी और पिता विशंभर नाथ चौधरी यूपी इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड में कार्यरत थे। उनकी माध्यमिक शिक्षा लखनऊ और स्नातक और परस्नातक की शिक्षा प्रयागराज से हुई। परस्नातक की पढ़ाई के साथ ही बृज भूषण चौधरी ने सिविल की तैयारी शुरू कर दी और इसी दौरान उन्होंने जेआरएस फेलोशिप परीक्षा क्वालिफाई की। इस बाद लगातार कई बार असफल हुए। पहले सन 1997 में एक्साइज इंस्पेक्टर के लिए भी उनका चयन हुआ। इसके बाद भी उन्होंने अपनी तैयारी जारी रखते हुए वर्ष 2000 में पीसीएस बेसिक शिक्षा अधिकारी की परीक्षा पास की। पहली तैनाती उन्हें जौनपुर में एसोसिएट डीआइओएस के पद पर हुई। इसके बाद वह करीब छह जिलों में बीएसए के पद पर रहे। फिलहाल बीस फरवरी से वह गाजियाबाद में बेसिक शिक्षा अधिकारी के पद पर तैनात हैं।

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परिषदीय विद्यालयों में पिछले लंबे समय से कई तरह की परेशानी चली आ रही हैं। खासकर नगरीय क्षेत्र में लगातार शिक्षकों की कमी बनी हुई है। इसके अलावा पिछले सालों में देखे तो आरटीई के तहत दाखिले की प्रक्रियाओं में भी अनियमितताएं रही हैं। बीस फरवरी को नए बेसिक शिक्षा अधिकारी बृज भूषण चौधरी ने जिले में बेसिक शिक्षा की कमान संभाली। व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने की लिए किन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है और क्या गाजियाबाद में दूसरे जिलों के मुकाबले बेहतर है। इस पर बेसिक शिक्षा अधिकारी बृज भूषण चौधरी से दीपा शर्मा ने बातचीत की।

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- कौन सी व्यवस्थाएं बेसिक शिक्षा विभाग में आपको बेहतर लगी?

- पूर्वांचल के कई जिलों में तैनाती रही है, जहां देखता था कि शिक्षक शिक्षा विभाग से जुड़े दूसरे काम रुचि के साथ करते थे और जो अपना मूल काम बच्चों को पढ़ाना है उसमें ही उनकी ज्यादा रुचि नहीं दिखती थी। यहां चीजें बेहतर हैं शिक्षक काफी एक्टिव और बच्चों को पढ़ाने में ज्यादा रुचि लेते हैं। कई विद्यालयों में तो निजी स्कूलों से ज्यादा आधुनिक स्तर की शिक्षा बच्चों को दी जा रही है। ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालयों में बच्चों के शिक्षा के स्तर को देखा तो वाकई काबिले तारीफ था।

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- नगरीय क्षेत्र के विद्यालयों में लंबे समय से शिक्षकों की कमी बनी हुई है। इस समस्या पर कुछ विचार किया है?

. नगरीय क्षेत्र के विद्यालयों में शिक्षकों की कमी बड़ी समस्या है। जबसे गाजियाबाद में तैनाती मिली है अन्य कार्यों में ड्यूटी लगाए जाने के कारण व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने समझने देखने का मौका तक नहीं मिल पाया है। अभी काम से कुछ राहत मिली है तो अब नगरीय क्षेत्र के विद्यालयों में कितने शिक्षकों की कमीं है, सूची तैयार कराई जाएगी और शिक्षकों की तैनाती के लिए प्रस्ताव रखा जाएगा। जितने शिक्षकों की कमी है इसके लिए मांग की जाएगी।

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- पिछले सालों में आरटीई के तहत दाखिले में अनियमितताएं रही हैं। इस साल क्या कुछ बेहतर रहेगा?

. इस साल दाखिले के लिए निजी विद्यालयों को सख्ती बरती जाएगी। लॉटरी के माध्यम से जिस बच्चे की जिस स्कूल में सीट आवंटित हुई है विद्यालय कोई भी हो उसमें ही बच्चे का दाखिला लेना होगा। लॉटरी में जिन बच्चों का निजी विद्यालय में दाखिले के लिए चयन होगा कोई बच्चा दाखिले से वंचित नहीं रहेगा। पहले अनियमितताएं रहीं है तो सुधार का पूरा प्रयास रहेगा। बच्चों को आरटीई के तहत निजी विद्यालयों में आवंटित सीटों पर पूरा हक मिलेगा।

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- कई निजी विद्यालय आरटीई के अंतर्गत मैपिग से साफ बचे हुए हैं इनके बारे में क्या कहेंगे?

विद्यालय मैपिग का काम आने से पहले ही पूरा कर लिया गया था। इस बार तो अब आवेदन हो चुके कुछ चल रहे हैं। इस पर बात करके देख ली गई है अब तो मैपिग का कार्य नहीं किया जा सकता, लेकिन अगले साल तक सभी विद्यालयों को आरटीई के अंतर्गत मैपिग में जोड़ा जाएगा। कोई भी विद्यालय मैंपिग से नहीं बचेगा। सभी निजी विद्यालयों को आरटीई के तहत दाखिले लेने होंगे।

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छुट्टियों में ऑनलाइन कक्षाओं के बारे में आपकी क्या राय है?

- लॉकडाउन में बच्चों को शिक्षा से जोड़े रखने के लिए ऑनलाइन कक्षाओं का सहारा लिया गया था। छुट्टियों में भी जरूरी है कि बच्चे शिक्षा से जुड़े रहे तो इसके लिए शिक्षकों को आदेश दिए हैं कि वह बच्चों को टीवी रेडियो पर शैक्षिक सामग्री देखने सुनने के लिए प्रेरित करें और दीक्षा एप भी डाउनलोड कराएं। जरूरी नहीं कि बच्चे छुट्टियों में पूरे दिन मोबाइल में लगे रहें, लेकिन थोड़ी बहुत देर निर्धारित समय के लिए मोबाइल पर पढ़ाई कर सकते हैं। इसके लिए शिक्षक अभिभावकों से संपर्क में हैं और बच्चों को छुट्टियों के लिए वर्चुअल क्लास के माध्यम से काम भी दिया गया है।


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