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साल दर साल अंग्रेजी हुकूमत की याद दिलाते हैं गंगनहर पर बनाए गए पुल, अब गिन रहे अपनी अंतिम सांसें

मसूरी के आस-पास के गांवों को अंग्रेजों ने गुलाम बनाया और वह ग्रामीणों से लगान वसूलते थे। उन्होंने अपनी सहूलियत के लिए गंगनहर व रजवाहों पर पुल बनाए थे। एक दर्जन से ज्यादा गांव के लोग इन पुलों का इस्तेमाल करते हैं।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Mon, 12 Apr 2021 03:19 PM (IST)Updated: Mon, 12 Apr 2021 03:41 PM (IST)
साल दर साल अंग्रेजी हुकूमत की याद दिलाते हैं गंगनहर पर बनाए गए पुल, अब गिन रहे अपनी अंतिम सांसें
नाहल मार्ग पर अंग्रेजों द्वारा बनाए गए गंगनहर व रजवाहे के पुल हो चुके हैं जर्जर। सौ.स्थानीय निवासी
गाजियाबाद, [हसीन शाह]। मसूरी के आस-पास के गांवों को अंग्रेजों ने गुलाम बनाया और वह ग्रामीणों से लगान वसूलते थे। उन्होंने अपनी सहूलियत के लिए गंगनहर व रजवाहों पर पुल बनाए थे। एक दर्जन से ज्यादा गांव के लोग इन पुलों का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन नाहल के पास जर्जर हो चुके तीन पुल अब अपनी अंतिम सांसें गिन रहे हैं और ग्रामीणों की जान पर भारी पड़ रहे हैं।
चुनाव से पहले नेता इन पुलों से आजादी दिलाने का वादा करते हैं, लेकिन जीतने के बाद ये पुल फिर से पांच साल तक अंग्रेजी हुकूमत की याद दिलाते हैं। नेताओं से अब पंचायत चुनाव में फिर से ग्रामीण इन पुलों से आजादी की मांग कर रहे हैं।
तीन पुलों से चितौड़ा, नूरपुर, ढबारसी, समयपुर, आकलपुर, निडोरी, मुबारिकपुर, कुशलिया, कल्लूगढ़ी, सिकरोड़ा, मटियाला, भूड़गढ़ी, कुड़ियागढ़ी, पिपलेड़ा व खिचरा गांव के लोगों का आवागमन होता है।
नाहल गांव की झाल के पास अंग्रेजों द्वारा बनाई गई पानी से चलने वाली आटा चक्की पर आज भी एक दर्जन गांव के लोग गंगनहर व रजवाहे के पुल को पार कर गेहूं पिसवाने आते हैं। ये पुल इन गांवों को एनएच-9 व कांवड़ मार्ग से जोड़ते हैं। पूर्व में नाहल के पास गंगनहर के पुल पर रेलिंग टूट गई थी।
सिंचाई विभाग ने पुल की रेलिंग बनवाई, लेकिन कुछ दिन बाद फिर से रेलिंग टूट गई। इन पुलों की चौड़ाई कम है। आमने-सामने एक साथ दो बड़े वाहन नहीं निकल सकते हैं। पुलों पर आए दिन हादसे होते रहते हैं। मतदान नजदीक होने के कारण प्रत्याशियों ने पंचायत चुनाव प्रचार तेज कर दिया है।
जिला पंचायत सदस्य पद से लेकर प्रधान पद के प्रत्याशी ग्रामीणों से नए पुल बनवाने का वादा कर रहे हैं। हालांकि पुल बनवाना प्रधान व जिला पंचायत सदस्य के अधिकार में नहीं है। लेकिन पंचायत चुनाव में हर बार जर्जर पुलों पर खूब राजनीति होती है। प्रत्याशी हर बार प्रशासन पर दबाव बनाकर पुल बनवाने का वादा करते हैं।
पूर्व में हुए पुलों पर हादसे
  • 18 जुलाई 2020 को जिला कारागार की ओर से नाहल की तरफ आ रही कार रेलिंग न होने के कारण गंगनहर में गिर गई थी। इस हादसे में दो लोगों की मौत हो गई थी, जबकि एक महिला को पुलिस ने बचा लिया था।
  • आठ अगस्त 2020 को बरेली से नोएडा जा रही एक कार मसूरी गंगनहर में गिर गई थी। इसमें तीन दोस्तों की मौत हो गई थी, जबकि एक व्यक्ति को राहगीर ने बचा लिया था। चारों दोस्त रात को सफर कर रहे थे।
  • 20 दिन पहले रजवाहे में एक बाइक गिर गई थी। गनीमत रही कि इस हादसे में कोई हताहत नहीं हुआ।
लोगों की शिकायत
अंग्रेजों द्वारा गंग नहर के पानी से खेतों की सिंचाई के लिए रजवाहों का निर्माण कराया गया था। लोग जान जोखिम में डालकर जर्जर पुल से गुजर रहे हैं। हर बार नेता पुल बनवाने का झूठा वादा करते हैं। इस बार भी पुल बनवाने की उम्मीद नहीं है। -इमरान खान, ग्रामीण
रात के समय में वाहन चालकों के लिए पुल पर जान हथेली पर लेकर चलना पड़ता है। कई बार हादसों में लोगों की जान जा चुकी है। प्रधान व जिला पंचायत सदस्य पद के प्रत्याशी हर बार प्रशासन पर दबाव बना कर पुल बनवाने का वादा करते हैं। जीतने के बाद वादे खोखले निकलते हैं।
-इस्तेखार अहमद, ग्रामीण

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