Kisan Andolan: दिल्ली-एनसीआर के बार्डर पर जारी रहेगा आंदोलन? राकेश टिकैत ने दिया संकेत
Kisan Andolan दिल्ली-उत्तर प्रदेश के गाजीपुर बार्डर पर किसान आंदोलन की अगुवाई करने वाले भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने बड़ा बयान दिया है। इस अहम बयान के मुताबिक किसानों का आंदोलन अभी नहीं खत्म होगा।
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। किसान आंदोलन की आगे की रणनीति बनाने की मांग पर शनिवार को दोपहर में संयुक्त किसान मोर्चा की अहम बैठक होने जा रही है। इसमें आंदोलन खत्म करने या फिर जारी रखने के साथ कई अहम फैसलों पर चर्चा होगा। इस बीच दिल्ली-उत्तर प्रदेश के गाजीपुर बार्डर पर किसान आंदोलन की अगुवाई करने वाले भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने बड़ा बयान दिया है। इस अहम बयान के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर के चारों बार्डर (सिंघु, शाहजहांपुर, टीकरी और गाजीपुर) पर एक साल से चल रहा किसाानों का धरना प्रदर्शन अभी खत्म नहीं होगा। इसके साथ ही यह भी तय हो गया है कि दिल्ली-एनसीआर के करोड़ों लोगों से जाम से राहत नहीं मिलने जा रहा है।
किसान नेता राकेश टिकैत ने दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बार्डर (कुंडली) बार्डर पर होने वाली बैठक से पहले ट्वीट किया है- आज बैठक में आंदोलन आगे कैसे बढ़ेगा और सरकार बातचीत करेगी तो कैसे बातचीत करनी है, इसपर चर्चा होगी। हरियाणा में मुख्यमंत्री, अधिकारियों और किसानों की कल बात हुई, जिसमें प्रदर्शन से संबंधित मामलों को वापस लेने पर सहमति बनी परन्तु मुआवजे पर सहमति नहीं बनी है।'
गौरतलब है कि संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) भी यह कहते हुए आंदोलन न खत्म करने का इशारा कर चुका है कि केंद्र सरकार की तरफ से अभी तक कोई औपचारिक आश्वासन नहीं मिलने के कारण किसान अपनी लंबित मांगों के लिए संघर्ष करने को मजबूर हैं। संयुक्त किसान मोर्चा के नेेताआों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे अपने पत्र में आंदोलन को वापस लेने के लिए 6 प्रमुख मांगें उठाई थीं। बावजूद इसके केंद्र सरकार की ओर से अब तक कोई जवाब नहीं मिला है। ऐसे में किसानों को आंदोलन जारी रखने के लिए बाध्य किया जा रहा है।
एसकेएम समन्वय समिति के सदस्य डॉ. दर्शन पाल ने शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में जिन 6 मुद्दों का जिक्र किया है उनमें से एक प्रदर्शनकारी किसानों के खिलाफ दर्ज मुकदमों को वापस लेने का था। विशेष रूप से भाजपा शासित राज्यों हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में हजारों किसानों के खिलाफ सैकड़ों बेबुनियाद और झूठे मुकदमे दर्ज किए गए हैं।