जिद को सलाम: हरनंदी नदी को बचाने की मुहिम में 16 साल से जुटा है यह शख्स, पढ़िए स्टोरी
उद्योगों से निकलने वाले गंदे पानी से नाले में तब्दील हो चली हरनंदी नदी को बचाने के लिए वकील विक्रांत सोलह साल से जुटे हुए हैं।
गाजियाबाद [मदन पांचाल]। गंगा को साफ बनाने के लिए जहां केंद्र सरकार ने नमामि गंगे अभियान चला रखा है वहीं पर गाजियाबाद के युवा विक्रांत शर्मा ने ठान लिया है कि कल तक जिस हरनंदी (हिंडन) नदी में शहर के लोग स्नान करते थे और इसका पानी पीकर तरोताजा महसूस करते थे, उसे बचाना है।
गंदे पानी छोड़ देने के कारण गंदी हो रही नदी
उद्योगों से निकलने वाले गंदे पानी से नाले में तब्दील हो चली हरनंदी नदी को बचाने के लिए वकील विक्रांत सोलह साल से जुटे हुए हैं। कभी पदयात्रा तो कभी गांव की चौपालों पर जाकर लोगों को नदी और उसके पानी को बचाने के लिए जागरूक करते हैं।
जल पुरुष राजेंद्र सिंह से प्रभावित
जल पुरुष राजेंद्र सिंह से प्रभावित होकर विक्रांत ने अब तक हरनंदी को लेकर अलग अलग सरकारी विभागों में सौ से अधिक आरटीआइ फाइल की है। एनजीटी में याचिका दायर कर नदी को गंदा करने वालों पर बीस हजार तक का जुर्माना लगाए जाने का प्रावधान कराया है।
10 हजार लोगों ने किया हस्ताक्षर
10 हजार लोगों के हस्ताक्षर कराकर राष्ट्रपति को भेजे गए हैं। विक्रांत हरनंदी नदी को लेकर नीति बनवाने की मुहिम को मुकाम तक पहुंचाने के लिए एनजीटी में याचिका दायर करने की तैयारी कर रहे हैं। हरनंदी जल बिरादरी के जरिये 50 युवाओं को साथ लेकर आए दिन नाटक, निबंध, चित्रकला और सामान्य ज्ञान प्रतियोगिताओं को आयोजन कर रहे हैं।
नदियां हजारों वर्ष की संस्कृतियां
उनका कहना है कि नदियां हमारी हजारों वर्षों की संस्कृतियों और सभ्यताओं का अभिन्न अंग हैं और अगर हम इनके पुनरोद्धार के लिए अब भी नहीं जागे तो यह दुर्भाग्य ही होगा। वे जलपुरुष राजेंद्र सिंह की जल बिरादरी से सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं और जल, जंगल और प्रकृति के बीच रहना उन्हें अधिक पसंद है। कृषि के लिहाज से देश के सबसे समृद्ध माने जाने वाले इलाकों में से एक हिंडन या हरनंदी नदी को प्रदूषण से मुक्त करने की मुहिम भविष्य में तेज की जाएगी।